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Showing posts from April, 2017

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 133वें स्थान पर

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वॉशिंगटन भारत को ताजा वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में 133वां स्थान मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों को खतरे के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'उदासीन' लगते हैं। वर्ष 2016 का 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक' रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने जारी किया है। फिनलैंड को इस सूचकांक में लगातार छठे साल शीर्ष स्थान पर रखा गया है। उसके बाद नीदरलैंड और नॉर्वे की बारी आती है। भारत ने तीन स्थान का छलांग लगाया है। साल 2015 में वह 136 वें स्थान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'पत्रकारों और ब्लॉगरों पर हमला किया जाता है और विभिन्न धार्मिक समूह जो नाराज हो जाते हैं उनका भी कोपभाजन बनना पड़ता है।' रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर जैसे क्षेत्रों में कवर करना पत्रकारों के लिए कठिन है क्योंकि सरकार उस क्षेत्र को संवेदनशील मानती है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'प्रधानमंत्री इन खतरों और समस्याओं के प्रति उदासीन लगते हैं और पत्रकारों की रक्षा करने के लिए कोई तंत्र नहीं है।' रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है, 'इसकी बजाय मीडिया कवरेज पर नियंत्रण ब

वसीयत और नसीयत

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मुहम्मद अली अपने इलाके के मशहूर व्यक्ति थे। खुद की कपडे की एक छोटी फैक्ट्री थी, अच्छा घर और एक कार भी थी। जिंदगी बड़ी ऐशोआराम से बितायी थी अली साहब ने। लेकिन मौत पे किसका बस चला है, जब अन्त समय नजदीक आया तो मुहम्मद अली ने सोचा कि अपने बेटे के नाम की वसीयत लिख दी जाये। अली साहब ने वसीयत अपने बेटे के नाम करने के साथ ही एक छोटा सा पत्र लिखा। वो पत्र अपने बेटे को देते हुए बोले कि बेटे इस पत्र को तब ही पढ़ना जब तुम मेरी एक आखिरी इच्छा पूरी कर दो। मेरी एक इच्छा है कि मेरे मरने बाद मुझे मेरे फटे हुए जुराब ही पहनाये जाएँ, ये मेरी दिली इच्छा है बेटा इसे जरूर पूरा करना और इसके बाद तुम ये पत्र खोलके पढ़ना। पिता के मरने के बाद जब उनके शव को नहला के लाया गया तो बेटे ने पिता के वही पुराने मौजे निकाले और पैरों में पहनाना चाहा। लेकिन वहां बैठे धर्म गुरुओं ने बेटे को रोका कि शव पर कफ़न के आलावा कोई कपड़ा नहीं पहनाया जा सकता। बेटे ने बहुत जिद की, तमाम उलेमाओं और मौलवियों को इकठ्ठा किया गया। बेटे की इच्छा थी कि पिता की ख्वाहिश को पूरा जरूर किया जाये लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आखिर हार कर बेटे न

चार मोमबत्तियां - A inspirational Story

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रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक ही एक कमरे में चार मोमबत्तियां जल रही थीं। एकांत पा कर आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं। पहली मोमबत्ती बोली, ” मैं शांति हूँ , पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है , हर तरफ आपाधापी और लूट-मार मची हुई है, मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …” और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ गयी। दूसरी मोमबत्ती बोली , ” मैं विश्वास हूँ , और मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत नहीं है , मैं भी यहाँ से जा रही हूँ …” , और दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी। तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते हुए बोली , ” मैं प्रेम हूँ, मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास वक्त ही नहीं, दूसरों से तो दूर लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,मैं ये सब और नहीं सह सकती मैं भी इस दुनिया से जा रही हूँ….” और ऐसा कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी। वो अभी बुझी ही थी कि एक मासूम बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ। मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया , उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह

EVM से छेड़खानी का मामला, HC के आदेश पर पुलिस ने EVM की सीज, BJP में मची खलबली

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लखनऊ,  कांग्रेस, अरविंद केजरीवाल और अन्य विपक्षी पार्टियां भाजपा पर लगातार EVM से छेड़छाड़ का आरोप लगा रही हैं। इन सबके बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले से बीजेपी को झटका लग सकता है। देहरादून की विकासनगर विधानसभा में EVM मशीन से छेड़खानी के मामले में कोर्ट ने ईवीएम मशीन को सीज करने के आदेश दिए हैं। बीजेपी के मुन्ना चौहान को बड़ा झटका लग सकता है। यहाँ से बीजेपी के टिकट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नवप्रभात ने मशीन के साथ टैम्परिंग, मैनप्लेटिंग करने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय से जांच करने की मांग की थी। इसी मामले में न्यायमूर्ति एसके गुप्ता की एकलपीठ ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए विकासनगर के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने मशीन को सील कर प्रीजर्व करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को विकासनगर विधानसभा में फर्जी वोटरों के बारे में बताते हुए कहा है कि विधायक मुन्ना सिंह चौहान का भी दो क्षेत्रों में वोट है। अखिलेश सिंह ने कहा कि उत्तराखण्

शादी के फौरन बाद पल्सर की माँग पर आडा दुल्हा- लडकी वालों ने पकड कर कर दिया ये हाल

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फिर एक बेटी ने दहेज के लोभियों को सबक सिखाया और भरे समाज के सामने निकाह तोड़ दिया. वहीं, लड़की पक्ष के लोगों ने दूल्हे और उसके भाई का सिर मुंडवा कर जूतों की माला पहना दी. घटना बुधवार सुबह पिठोरिया थाना क्षेत्र के चंदवे मुसलिम टोला की है. क्षेत्र के लोग दिन भर इस घटना की चर्चा कर रहे हैं. साथ ही उस बेटी की तारीफ भी कर रहे हैं। चंदवे मुसलिम टोला निवासी बशीरूद्दीन अंसारी की बेटी रुबाना बारहवीं पास कर चुकी है. उसका निकाह रांची के सिकिदिरी थाना के सांडी गांव निवासी अयूब अंसारी के बेटे मुमताज अंसारी से तय हुआ था. बारात 25 अप्रैल को आनेवाली थी। बशीरूद्दीन करीब तीन महीने से बेटी के निकाह की तैयारी में जुटे हुए थे. रात-दिन दौड़-भाग करके उन्होंने पैसों का इंतजाम किया. बारात के स्वागत की तैयारी की. साथ ही बेटी और दामाद को शादी के बाद देने लिए सामान की खरीदारी कर रहे थे. इस बीच वे अपनी बेटी के सुंदर भविष्य के सपने देखकर फूले नहीं समा रहे थे. तय तारीख को बारात उनके दरवाजे पर पहुंची भी, लेकिन दहेज के लोभियों की वजह से बेटी के लिए देखा हुआ उनका सपना पूरा नहीं हो पाया. निकाह के तुरंत बाद

योगिराज में जंगलराज - एक महीने में हुए इतने घटनाक्रमो पर मीडिया चुप क्यों हैं जो बिहार में हुई एक घटना पर उसे जंगलराज घोषित कर देती है

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यूपी में पिछले एक महीने में हुए बड़े घटनाकर्म  यूपीः   युवती से छेड़छाड़ का विरोध परिवार को पड़ा भारी, एक की मौत तीन घायल 28-04 -2017 ग़ाज़ियाबाद के मुरादनगर कस्बे में युवती के साथ छेड़छाड़ का विरोध करना एक परिवार को भारी पड़ गया. युवती से छेड़छाड़ करने वाले आरोपियों ने परिवार पर जानलेवा हमला कर दिया. इस हमले में चार लोग घायल हो गए. जिसमें से एक महिला की दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मौत हो गई. यूपीः दो स्थानों से मिले चार बच्चों के शव, गर्दन काटकर की गई हत्या    27-04 -2017  उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में उस वक्त सनसनी फैल गई, जब दो बोरों में चार मासूम बच्चों के गर्दन कटे शव बरामद हुए. अभी तक बच्चों की शिनाख्त नहीं हो पाई है. पुलिस ने चारों शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए हैं. अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है. यूपीः  सिफारिश न मानने पर भड़कीं BJP सांसद, ASP को दी खाल खिंचवाने की धमकी 26 अप्रैल 2017 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही बीजेपी सांसदों को संयम बरतने की नसीहत देते रहते हों लेकिन कुछ सांसद ऐसे हैं जिन पर पीएम की अपील का असर होता नजर नहीं आ

इंजीनियर्स की टीम ने दी चुनौती- चुनाव आयोग अनुमति दे, हम हैक करके दिखाएंगे EVM

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नई दिल्ली। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। यूपी चुनाव के बाद सबसे पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी की बात उठाई थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने इसकी सफाई में कई बातें कही थीं। इसके बाद मायावती कोर्ट चली गई थीं जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने चुनौती दी थी कि कोई भी ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी साबित करके दिखाए। अब इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग की चुनौती स्वीकार करते हुए आईआईटी और प्रमुख विज्ञान संस्थानों के देश और विदेश के कई इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी को उन्हें ईवीएम मशीनों में गड़बड़ियां साबित करने का मौका देना चाहिए।  27 सदस्यों के इस समूह ने कहा कि ईवीएम मशीनों के सही मूल्यांकन और यह समझने के लिए कि ईवीएम मशीनों में किस तरह की छेड़छाड़ संभव है इसके लिए हमारी टीम को ईवीएम मशीनों में गड़बड़ियां साबित करने का मौका देना चाहिए। आपको बता दें कि ईवीएम को लेकर विवाद के बीच इलेक्शन कमीशन ने खुला चैलेंज दिया था कि टेक एक्सपर्ट्स, साइंटिस्ट्स और नेता ईवीएम

तीसरी बकरी-एक मजेदार कहानी जरूर पढ़ें और दोस्तो को भी शेयर करें

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*तीसरी बकरी*  पांचवी क्लास में दो विद्यार्थी थे। उनका नाम था शाह और मोदी। एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गयी तब मोदी ने शाह से कहा, “दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है!” “बताओ-बताओ.. क्या आईडिया है?” शाह ने एक्साईटेड होते हुए पूछा। मोदी: “वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।” शाह: “तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?” मोदी: "हम आज सबसे अंत में स्कूल से निकलेंगे और जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल जब स्कूल खुलेगा तब सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी..” शाह: “पर इतनी बड़ी बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है? कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ नार्मल हो जाएगा..” मोदी: “हाहाहा.. यही तो बात है, वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस तुम देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!” इसके बाद दोनों दोस्त छुट्टी के बाद भी पढ़ायी के बहाने अपने क्लास में बैठे रहे और जब सभी लोग चले गए तो ये तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये। अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गो

बिकी हुई मीडिया तो पुछने से रही... मोदी भक्त तो खुद का सर फोड़ डालेंगे अगर उनके ख्याल में भी ऐसा कोई प्रश्न आया....

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बिकी हुई मीडिया तो पुछने से रही... अंध भक्त तो खुद का सर फोड़ डालेंगे अगर  उनके ख्याल में भी ऐसा कोई प्रश्न आया.... हम मोदी की करतूतों को पर्दाफाश करने वाले तो ज़रूर पूछेंगे... ये भी खोज का विषय है... की मोदी जी के कौन से ऐसे काम है जिनसे जनता खुश हो कर बम्पर बहुमत दे रही है? (हंसो मत जनता मतलब EVM) क्यों कि... ना मँहगाई घटी ना किसान आत्महत्या रुकी ना भृष्टाचार कम हुआ ना डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हुआ ना गुंडाराज खत्म हुआ ना नोकरशाही खत्म हुई ना कश्मीर के हालात बदले बल्कि बद से बत्तर हुए ना पाकिस्तान पर शिकंजा मजबूत हुआ ना चीन ने आँख दिखानी बन्द की ना आतंकवाद का खात्मा हुआ ना रोजगार बढ़े ना किसानों को उनका समर्थन मूल्य मिला ना गरीबो के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनी (जन धन बोल के हंसाना मत, पेट दुखता है) ना कालाधन वापस आया ना नोटबंदी से लोगों को फायदा हुआ ना विदेशी दौरों से लाभ मिला ना कांग्रेस के दामाद पर कार्यवाही हुई ना 2g घोटाले के दोषी जेल गये ना कोयला घोटाला करने वाले जेल गये ना कॉमनवेल्थ गेम के गुनाहगार जेल गये ना गंगा साफ हुई ना रेल दुर्घटनाये रुकी

बिकाऊ मीडिया काला धन और काला खेल !

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नोटबंदी देश का सबसे बड़ा घोटाला रहा है आपने महसूस किया होगा कि नोटबंदी के बाद मीडिया कुछ बदली बदली सी नज़र आ रही है किसी विशेष पार्टी के प्रति उनका लगाव कुछ ज्यादा बढ़ा नज़र आ रहा है। मीडिया मोदी को युगपुरुष और भगवान तक बनाने में जुटी पड़ी है  आपको पता है इसका कारण क्या है नोटबंदी 8 नवंबर नोटबंदी की घोषणा के बाद से मीडिया हाउसेस ने पीएम मोदी और बीजेपी का गुणगान करना शुरू कर दिया। कयूकी नोटबंदी के बाद मीडिया घरानों के लाखों करोड़ो रूपये बर्बाद हो जाते तो सरकार और मीडिया हाउसेस के बीच एक डील हुई जिसमें मोदी फ़ेवर की खबरे चलाने के लिए उन सभी मीडिया हाउसेस के पैसे बिना किसी दिक्कत के बदलवा दिए गए और मीडिया घरानों को अपना काला धन ठिकाने लगाने में कोई प्रॉब्लम नही हुई। और कुछ पत्रकारों ने भी बहुत काला धन इकट्ठा किया हुआ था ।जिसमे बड़े बड़े न्यूज़ चैनल के बड़े बड़े पत्रकारों का नाम हैे जेल जाने के डर और अपनी काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए उन्होंने मोदी प्रेम का सहारा लिया और ये सौदा हुआ कि वो 2019 तक मोदी की चाटुकारिता करते रहेंगे और मोदी और बीजेपी के लिए काम करते रहेंगे।और जैसा बीज

अरविंद को हर तरफ से हराना आखिर क्यों जरूरी है यह हर उस शख्स को समझना होगा जो ईमानदारी की कमाई पर यकीन रखता है।

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अरविंद को हर तरफ से हराना आखिर क्यों जरूरी है यह हर उस शख्स को समझना होगा जो ईमानदारी की कमाई पर यकीन रखता है। दरअसल आम आदमी पार्टी या अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक राज्य की पार्टी नहीं है और ना ही अरविंद केजरीवाल किसी एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं। दरअसल अरविंद केजरीवाल की जीत का मतलब है पूरे देश में भाजपा कांग्रेस और उनके जैसे राजनीतिक दलों की राजनीति का समाप्त होना और यह देश का कोई भी नेता नहीं चाहता है और न ही वह लोग चाहते हैं जो इनकी छत्रछाया में खूब पनप रहे हैं। फल स्वरुप साम,  दाम ,दंड ,भेद सब कुछ लगाकर बस एक ही कोशिश जारी है किसी भी तरह से अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को रोक लो अगर केजरीवाल को दिल्ली में हरा दिया तो समझो पूरे देश में जो लोग घर से निकलकर राजनीति बदलने के लिए बाहर आए हैं वह अपने आप हताश होकर बैठ जाएंगे और फिर से राजनीतिक पार्टियां मलाई खाने में व्यस्त हो जाएंगी। कोई पूछने वाला नहीं होगा। # जागो_इंडिया

*सत्य को कहने के लिए किसी,* *शपथ की जरूरत नहीं होती।*

*सत्य को कहने के लिए किसी,* *शपथ की जरूरत नहीं होती।* *नदियों को बहने के लिए किसी,* *पथ की जरूरत नहीं होती।* *जो बढ़ते हैं जमाने में,* *अपने मजबूत इरादों के बल पर,* *उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,* *किसी रथ की जरूरत नहीं होती।*

लोगो के लिए काम करने से कुछ नही होता। लोगो को बेवकूफ बनाना भी आना चाहिए।

आप पार्टी की हार का मुख्य कारण केजरीवाल को काम करना आता है। लेकिन जनता को मोदी की तरह मूर्ख बनाना नही आता। #एमसीडी में हार मुझे बहुत दुख है एक बार फिर ईमानदारी की हार हुई है सच कहा है किसी ने भारत की राजनीति को सुधारना नामुकिन जैसा ही है।लेकिन हमें हार नही माननी चाहिए और मिलकर एक बार फिर से दुगनी ताकत के साथ इन बेईमानो से लड़ना पड़ेगा। भगवान हमारी मदद करेगा।

भूख और ईमानदारी - भूख पर हावी होती ईमानदारी

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केजरी भाई लाख टके की बात कहते हैं। अगर आदमी भूखा रहेगा, तो ईमानदार कैसे रहेगा? भुक्खड़ आदमी ईमानदार हो सकता है भला। हो ही नहीं सकता। आप किसी तीन दिन के भूखे आदमी को जलेबी की रखवाली करने का जिम्मा सौंप दो। फिर देखो क्या होता है? पहले तो वह ईमानदार रहने की कोशिश करेगा। देश, समाज, परिवार और गांव-गिरांव की नैतिकता की दुहाई देगा। अपने होंठों पर जुबान फेरेगा। भूख से लडऩे की कोशिश करेगा। और जब…भूख बर्दाश्त से बाहर हो जाएगी, तो…? तो वह मन ही मन या फिर जोर से चीख कर कहेगा, ‘ऐसी की तैसी में गई ईमानदारी। पहले पेट पूजा, फिर काम दूजा।Ó सच है कि मुरदों की कोई ईमानदारी नहीं होती है। जब आदमी जिंदा रहेगा, तभी न ईमानदार रहेगा। मरे हुए आदमी के लिए क्या ईमानदारी, क्या बेईमानी..सब बराबर है। वैसे भी भूख और ईमानदारी में जन्म जन्मांतर का बैर है। हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है कि बुभुक्षितम किम न करोति पापम! इस सत्य को बहुत पहले हमारे ऋषि-मुनि, त्यागी-तपस्वी समझ-बूझ गए थे। तभी तो उन्होंने कहा कि भूखे भजन न होय गोपाला। यह लो अपनी कंठी-माला। कहते हैं कि एक बार ऐसी ही स्थिति महात्मा बुद्ध के

एक चुटकी ईमानदारी - ईमानदारी की पाठशाला। खुद भी पढ़े और दोस्तों को भी पढ़ाएं।

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रामू काका अपनी ईमानदारी और नेक स्वाभाव के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्द थे। एक बार उन्होंने अपने कुछ मित्रों को खाने पर आमंत्रित किया। वे अक्सर इस तरह इकठ्ठा हुआ करते और साथ मिलकर अपनी पसंद का भोजन बनाते। आज भी सभी मित्र बड़े उत्साह से एक दुसरे से मिले और बातों का दौर चलने लगा। जब बात खाने को लेकर शुरू हुई तभी काका को एहसास हुआ कि नमक तो सुबह ही ख़त्म हो गया था। काका नमक लाने के लिए उठे फिर कुछ सोच कर अपने बेटे को बुलाया और हाथ में कुछ पैसे रखते हुए बोले, “ बेटा, जा जरा बाज़ार से एक पुड़िया नमक लेता आ..” “जी पिताजी।”, बेटा बोला और आगे बढ़ने लगा। “सुन”, काका बोले, “ ये ध्यान रखना कि नमक सही दाम पे खरीदना, ना अधिक पैसे देना और ना कम।” बेटे को आश्चर्य हुआ, उसने पूछा, “पिताजी, अधिक दाम में ना लाना तो समझ में आता है, लेकिन अगर कुह मोल भाव करके मैं कम पैसे में नामक लाता हूँ और चार पैसे बचाता हूँ तो इसमें हर्ज़ ही क्या है?” “नहीं बेटा,” काका बोले, “ ऐसा करना हमारे गाँव को बर्वाद कर सकता है! जा उचित दाम पे नामक लेकर आ।” काका के मित्र भी ये सारी बात सुन रहे थे, किसी ने बोला, “ भाई,

अटल बिहारी बाजपेयी जी की 11 कथनी। Atal Bihari Vajpayee Quotes in Hindi

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अटल बिहारी बाजपेयी जी की 11 कथनी। Atal Bihari Vajpayee Quotes in Hindi   "आप मित्र बदल सकते हैं पर पड़ोसी नहीं।"   "हम उम्मीद करते हैं कि विश्व प्रबुद्ध स्वार्थ की भावना से काम करेगा।"   "हम मानते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाये पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हमेशा के लिए ख़त्म करने का दबाव बना सकते हैं।"   "पहले एक अन्तर्निहित दृढ़ विश्वास था कि संयुक्त राष्ट्र अपने घटक राज्यों की कुल शक्ति की तुलना में अधिक शक्तिशाली होगा।" "संयुक्त राष्ट्र की अद्वितीय वैधता इस सार्वभौमिक धारणा में निहित है कि वह किसी विशेष देश या देशों के समूह के हितों की तुलना में एक बड़े उद्देश्य के लिए काम करता है।"     "जैव विविधता कन्वेंशन ने विश्व के गरीबों को कोई ठोस लाभ नहीं पहुँचाया है।"    "गरीबी बहुआयामी है। यह हमारी कमाई के अलावा स्वास्थय, राजनीतिक भागीदारी, हमारी संस्कृति और सामाजिक संगठन की उन्नति पर भी असर डालती है।"   "हमारे परमाणु हथियार विशुद्ध रूप से किस

ये पूरा शहर करता है आत्माओं से बात, यहां आकर आपको भी दिखने लगेंगी काली शक्तियां

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1. भूत-प्रेत भूत-प्रेत जैसी बातों पर भले ही बहुत कम लोग विश्वास करते हों, लेकिन जब भी इनका जिक्र उठता है तो लोगों की दिलचस्पी या फिर उनकी जिज्ञासा जाग ही जाती है। एक बार तो इस ओर ध्यान अवश्य जाता है कि आखिर क्या ये सब ताकतें वाकई अपना अस्तित्व रखती हैं, क्या सच में इस दुनिया में हमारे अलावा कुछ ऐसी ताकतें भी हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते...!!! 2. पारलौकिक ताकतों पर विश्वास ऐसे लोग भी हैं जो पारलौकिक ताकतों पर विश्वास नहीं करते, उनके लिए भूत-प्रेत, आत्माओं जैसा कुछ नहीं हैं। वहीं ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत ज्यादा है जिनके लिए ये सब कहानियां या किताबी बातें नहीं बल्कि एक ऐसा सच है जिसे खुद वे महसूस कर चुके हैं। उनका कहना है कि खुद इन ताकतों का अहसास उन्हें अपने आसपास हो चुका है। 3. कासाडागा टाउन लेकिन अगर आपको इन सब बातों पर बिल्कुल विश्वास नहीं है तो आपको एक बार अमेरिका के कासाडागा टाउन जाना चाहिए। क्योंकि यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि वे आत्माओं को बुलाकर उनसे बात कर सकते हैं, यही वजह है कि इस टाउन को साइकिक कैपिटल नाम से भी जाना जाता है। 4

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने किया जवानों पर हमला। 26 जवान शहीद।प्रधानसेवक ने ट्विटर पर दी श्रधांजलि।शर्मनाक#डिजिटल इंडिया

सुना था नोटबंदी ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी थी। फिर भी जवानों पर हमला हो गया?

भक्तों को उनके भगवान के खिलाफ बोलना लगता है साजिश,चाहे किसान अपनी हक की आवाज उठाएँ या जवान

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आर्मी के जवानों से इनकी हमदर्दी झूठी है.. किसानों की मजबूरी पर इनकी फिक्र फर्ज़ी है। ये प्रजाति भक्त है। जब तक इनके भगवान को ना छेड़ो तब तक ये आपको छोड़े रखेंगे और कहीं अगर सवालों के घेरे में इनके अवतारी पुरुष आ गए तो बस ये पगला जाएंगे।  ये इतने बेशर्म और घटिया किस्म के सांचे में पले और पगे तत्व हैं कि जिसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं। जिस सिपाही के सरहद पर खड़े होने को ये अपनी गुंडागर्दी के लिए भुना लेते हैं, जब वही कच्ची रोटी की शिकायत करता है तो अचानक सारे भक्त उसकी देशभक्ति पर शंका करते हैं। किसानों की दुर्दशा पर ये छाती पीटकर कांग्रेस को तो कोस लेंगे लेकिन जैसे ही तमिलनाडु के किसान केंद्र सरकार से अपनी बात कहने जंतर मंतर पर चले आए तो इनकी नज़र में वो फंडेड प्रदर्शनकारी हो गए। अपने एक नेता की खाल बचाने के लिए सारे भक्त कपड़े उतारकर नंगे नाचने लगे।  भूखे-प्यासे बेचारे किसानों को किसी ने कहीं से खाना खिलवा दिया तो एक फोटो खींचकर लफंडर भक्तों की सारी सेना दुष्प्रचार में जुट गई। कहने लगे कि इन किसानों को मोदी सरकार की बदनामी के लिए यहां लाया गया है। अफवाहबाज़ी करने लगे कि प्रदर्शनक

मोदी के राज़ में किसानो की ये दुर्दशा , भैया आप तो कहते थे मोदी जी किसानो के हितैशी है ,कहा गई वो इंसानियत लोगो में ? विरोध की नई हदें लांघने को तैयार तमिलनाडु के किसान, आज पिया मानव मूत्र? शर्मनाक !

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वो देश के अन्नदाता हैं लेकिन दिल्ली के सियासी गलियारों के बीचों-बीच नेताओं और मीडिया की नजर-ए- इनायत के लिए तरस रहे हैं. जंतर-मंतर में तमिलनाडु के किसान पिछले 38 दिनों से अपने दर्द की ओर ध्यान खींचने के लिए दिल दहलाने वाली कोशिशें कर चुके हैं और शनिवार को उन्हें मानव मूत्र पीकर विरोध जताने की धमकी दी है. किसानों का कहना है कि अगर उनकी अब भी नहीं सुनी गई तो वो रविवार को मानव मल खाने की हद भी पार करेंगे. जो लोग मोदी भक्ति में लीन है मेरा आज उनसे सवाल है की क्या तमिलनाडु के किसान भारतीय नहीं क्यों उन गरीब किसानो का पैसा माफ़ नहीं किया जा सकता , क्या मोदी और उनकी सरकार इतनी असवेदनशील हो गयी है ? हम इस सरकार की पूर्णतः भर्तसना करते हैं जिसने लाखो करोड़ रुपए बड़े बड़े उद्योगपतियों के तो माफ़ कर दिए और अभी बांग्लादेश की शेख हसीना को 20000 करोड़ रुपए की मदद दे दी। लेकिन पिछले 38 दिनों से विरोध कर रहे किसानो की बात को लेकर कान पर जूं नहीं रेंगती इस सरकार पर। देश के किसान आज विरोध की नई हदें लांघने को तैयार है मैं और आप सोच भी  नहीं सकते वो पिछले 38 दिनों से ऐसा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं कि जि

NEET 2017 Admit Card: Download Here Direct Link

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NEET 2017 Admit Card –  Released NEET 2017 Admit is available for download from 22nd April, 2017.  Click here  to dow nload admit card.

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