इंजीनियर्स की टीम ने दी चुनौती- चुनाव आयोग अनुमति दे, हम हैक करके दिखाएंगे EVM

नई दिल्ली। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। यूपी चुनाव के बाद सबसे पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी की बात उठाई थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने इसकी सफाई में कई बातें कही थीं। इसके बाद मायावती कोर्ट चली गई थीं जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने चुनौती दी थी कि कोई भी ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी साबित करके दिखाए।


अब इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग की चुनौती स्वीकार करते हुए आईआईटी और प्रमुख विज्ञान संस्थानों के देश और विदेश के कई इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी को उन्हें ईवीएम मशीनों में गड़बड़ियां साबित करने का मौका देना चाहिए।

 27 सदस्यों के इस समूह ने कहा कि ईवीएम मशीनों के सही मूल्यांकन और यह समझने के लिए कि ईवीएम मशीनों में किस तरह की छेड़छाड़ संभव है इसके लिए हमारी टीम को ईवीएम मशीनों में गड़बड़ियां साबित करने का मौका देना चाहिए।



आपको बता दें कि ईवीएम को लेकर विवाद के बीच इलेक्शन कमीशन ने खुला चैलेंज दिया था कि टेक एक्सपर्ट्स, साइंटिस्ट्स और नेता ईवीएम को हैक करके दिखाएंं। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। बाद में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसा ही आरोप लगाया था। इसके बाद विपक्षी दलों ने ईवीएम के बजाए बैलट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग की थी। इसी पर चुनाव आयोग ने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है।

इस संबंध में चुनाव आयोग ने सन् 2009 में इलेक्शन कमीशन ने उन लोगों के सामने ईवीएम को सिर्फ प्रदर्शित किया था, जो उस पर सवाल उठाते थे। 10 राज्यों में इस्तेमाल की गई 100 ईवीएम को प्रदर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद EC ने कहा, "ईवीएम को रिप्रोग्राम्ड नहीं किया जा सकता और ना उसे किसी बाहरी डिवाइस से कंट्रोल किया जा सकता है। ये वोटर को केवल एक बार वोट डालने के लिए डिजाइन की गई है।"



दरअसल 2004 में इस्तेमाल शुरू होते ही ईवीएम पर सवाल उठने लगे थे। 2009 में खुद बीजेपी ने ही ईवीएम को लेकर धांधली का आरोप लगाया था। 2010 में बीजेपी लीडर जीवीएल नरसिम्हा राव की बुक 'डेमोक्रेसी एट रिस्क-कैन वी ट्रस्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?' आई थी। इस बुक की प्रस्तावना भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लिखी थी। आडवाणी ने लिखा था, "टेक्नोलॉजी के नजरिए से मैं जर्मनी को मोस्ट एडवांस्ड देश समझता हूं। वहां भी ईवीएम के इस्तेमाल पर बैन लगा चुका है। आज अमेरिका के 50 में से 32 स्टेट में ईवीएम पर बैन है। मुझे लगता है कि अगर हमारा इलेक्शन कमीशन भी ऐसा करता है, तो इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।"

2009 में ही हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम पर सवाल उठा। तमिलनाडु में AIADMK ने ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव की मांग की। 2014 में भी विपक्षी दलों ने ईवीएम के जरिए धांधली होने का मसला उठाया। गौर करने वाली बात है कि यूरोप और अमेरिका में भी ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा चुकी है। नीदरलैंड भी ट्रांसपेरेंसी की कमी का हवाला देते हुए ईवीएम पर पाबंदी लगा चुका है। आयरलैंड ने 3 साल और करीब 350 करोड़ रुपए रिसर्च पर खर्च करने के बाद ट्रांसपेरेंसी का हवाला देकर ईवीएम पर रोक लगा दी। इटली ने भी कहा कि इससे नतीजे बदले जा सकते हैं और वापस बैलेट पर आ गए।

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