भक्तों को उनके भगवान के खिलाफ बोलना लगता है साजिश,चाहे किसान अपनी हक की आवाज उठाएँ या जवान

ये इतने बेशर्म और घटिया किस्म के सांचे में पले और पगे तत्व हैं कि जिसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं। जिस सिपाही के सरहद पर खड़े होने को ये अपनी गुंडागर्दी के लिए भुना लेते हैं, जब वही कच्ची रोटी की शिकायत करता है तो अचानक सारे भक्त उसकी देशभक्ति पर शंका करते हैं। किसानों की दुर्दशा पर ये छाती पीटकर कांग्रेस को तो कोस लेंगे लेकिन जैसे ही तमिलनाडु के किसान केंद्र सरकार से अपनी बात कहने जंतर मंतर पर चले आए तो इनकी नज़र में वो फंडेड प्रदर्शनकारी हो गए। अपने एक नेता की खाल बचाने के लिए सारे भक्त कपड़े उतारकर नंगे नाचने लगे।
भूखे-प्यासे बेचारे किसानों को किसी ने कहीं से खाना खिलवा दिया तो एक फोटो खींचकर लफंडर भक्तों की सारी सेना दुष्प्रचार में जुट गई। कहने लगे कि इन किसानों को मोदी सरकार की बदनामी के लिए यहां लाया गया है। अफवाहबाज़ी करने लगे कि प्रदर्शनकारियों के लिए खाना सागर रत्ना रेस्टोरेंट से आ रहा है।
पीने के लिए मिनरल वॉटर आ रहा है। कई पूछने लगे हैं कि दिल्ली तक आने का किराया किसने दिया ? हाय री भक्तबुद्धि! क्या दिमाग पाया है, जिसमें या तो मोदी जी की तारीफ के लिए जुमले पैदा होते हैं या फिर सरकार का हर विरोध साज़िश ही समझ आता है। ये सियार पूछ रहे हैं कि किसान तमिलनाडु की सरकार का विरोध करने के बजाय हमारे प्यारे भगवान जी का विरोध क्यों कर रहे हैं? मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि अगर मैं बिना फीस लिए तुम्हारी बंद बुद्धि तक किसानों के विरोध प्रदर्शन का आधार और तुक पहुंचा दूं तो भी क्या तुम मान लोगे ? तुम नहीं मानोगे क्योंकि तुम्हें ना कुछ सुनना है और ना समझना है।
तुम्हारे ज़मीर इस कदर भ्रष्ट हैं कि उसी किसान और जवान के खिलाफ उतरने में शर्म नहीं करते जिसके कंधे पर सवार होकर तुम्हारे तथाकथित प्रधानसेवक ने सत्ता पाई है। तुम्हारा लेनादेना और सोचना-समझना बस इतने भर में सीमित है कि कोई मोदी जी को कुछ ना कह दे। किसी की मजबूरी और मौत में भी साज़िश ढूंढ लेनेवाले गलीज़ों तुम पर आनेवाली पीढ़ी वैसी ही शर्मिंदगी महसूस करेंगी जैसे आज जर्मनी नाज़ियों पर, इटली फासिस्टों पर और हम मीर ज़ाफर पर करते हैं। राष्ट्र के नाम पर तुमसे तुम्हारे आका जो कराते जा रहे हैं वो सबसे नीच किस्म की गद्दारी है.. इस देश और इस समाज के खिलाफ।
Comments
Post a Comment