भकतों की कहानी भक्त की जुबानी - नाकामी हुजूर की छिपाता रहूँगा, तारीफों के बंगले बनाता रहूँगा, बेच दे वे देश चाहे अम्बानी या माल्या को, पर मैं भक्त हूँ,नमो-नमो गाता रहूँगा. जीडीपी गिर रहा है,पर मुझे उस से क्या, बेरोजगार बढ़ रहे हैं,पर मुझे उस से क्या, “अच्छे दिन” जुमला था,भले मान लिया हो मेरे देवताओं ने, मतलब “अच्छे दिन” अब नहीं आएँगे,पर मुझे उससे क्या, मैं तो “मन की बात” सुन-सुन कर खुशी से पगलाता रहूँगा, क्योंकि भक्त हूँ,नमो-नमो गाता रहूँगा. केजरीवाल गद्दार है,क्योंकि प्रभु से सवाल करता है, कपिल देशद्रोही है,क्योंकि सच बोल कर बवाल करता है, भले ही वाड्रा और सोनिया सबूत होने के बाद भी बाहर घूम रहे हों, पर हर वो आधारकार्ड धारक पाकिस्तानी है,जिसे इस बात का मलाल रहता है, अपना हक मांगने वाले हर भारतीय के लिए मैं नयी-नयी गालियाँ बनाता रहूँगा, क्योंकि भक्त हूँ,नमो-नमो गाता रहूँगा. लीला देखो प्रभु की के चाय बेच कर करोड़ो कमाए, तभी तो घूमते हैं लाखों का सूट और हजारों का चश्मा चढ़ाए, पप्पू तो पागल है जो गरीबों की थाली में भी खा लेता है, वरना ये कहाँ की समझदारी है की कोई करो...