अघोषित आपातकाल- क्या आज का दौर इंदिरा के आपातकाल की याद दिलाता है ?

आज देश अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है! हम जिस तरह देख रहे हैं कि आज वो सभी आवाजो को दबाया जा रहा है जो सरकार या सरकार की नीतियों के खिलाफ हों। आज देश के ऐसे हालात हैं जिसमे छात्र (JNU कांड और गिरती शिक्षा व्यवस्था) ,दलित(गुजरात और विभिन्न शहरों में घटित दलित कांड) ,सैनिक(अपने हक़ और घटते रक्षा बजट), किसान (बदहाली और गरीबी ), युवा (बेरोजगारी), व्यापारी (GST और नोटबंदी), आम आदमी (बढ़ती महँगाई और बढ़ते भ्र्स्टाचार) सभी लोग सरकार की दमनकारी नीतियों से त्रस्त है सभी की आवाज को लगातार दबाये जाने की कोशिश की जा रही है !

क्या सच में हम एक लोकतान्त्रिक देश में रह रहे है? जहाँ पर सरकार की गलत नीतियों पर अगर सवाल किया जाए तो देशद्रोही करार दे दिया जाता है जो लोग सरकार के खिलाफ आवाज उठाते है उन्हें या तो देशद्रोही घोषित कर दिए जाता है या फिर उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोने पड़ सकते है! गाय के नाम पर आये दिन मासूम लोगों को मार दिया जा रहा है !,हिन्दू मुसलमान के नाम पर आपसी भाईचारा ख़त्म किया जा रहा है !
आज पत्रकारों को मोदी सरकार की आलोचना करने की सजा भुगतनी पड़ रही है पुण्य प्रसून वाजपेयी को जिस तरह से पहले मास्टर स्ट्रोक का प्रसारण बाधित करके तंग किया गया और बाद में चैनल से ही चलता कर दिया गया , उन घटनाक्रम को देखते हुए आप कैसे इस बात की कल्पना भी कर सकते हैं कि देश में मीडिया आजाद है? मित्रों, २३ अप्रैल २०१४ को एबीपी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू क्या आपने देखा मोदी का अब तक का सबसे कठिन ईंटरव्यू? में मोदीजी से पूछा था कि क्या आप भविष्य में हमारे साथ भी सख्ती बरतेंगे तो मोदी जी ने हँसते हुए कहा था कि यह आपके व्यवहार पर निर्भर करेगा.
यही वजह है कि देश की ज्यादातर मीडिया आज मोदी सरकार की गुलामी करती नज़र आती है! वो हमेशा सरकार की आलोचना करने से बचती रही है ! और झूठा महिमामंडन करने का काम कर रही है!
गोरी लंकेश की हत्या भी इसी सम्बन्ध में एक कड़ी है जानकारी के मुताबिक, गोरी लंकेश की हत्या करने वाला अमोल काले हिंदू जनजागरण समिती और सनातन संस्था से जुड़ा रहा है बता दें कि गोरी लंकेश मर्डर केस में कर्नाटक पुलिस ने 30 मई को दाखिल चार्जशीट में पुलिस भी इस नतीजे पर पहुंची है कि हिंदू धर्म की आलोचना के चलते ही गौरी लंकेश की हत्या की गई थी! मोदी सरकार सभी सरकारी संस्थानों का दुरूपयोग विपक्षी नेताओ के खिलाफ करने का काम कर रही है ! ये अघोषित आपातकाल नहीं तो क्या है?
उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के करीब 40 लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन समेत कई मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए जिसे देखते हुए सरकार ने धारा 144 लगा दी जिसके कारण कोई भी सवैधानिक संस्था किसी भी प्रकार के झंडे और स्पीकर से प्रचार नहीं कर सकते और ना ही धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी नहीं कर सकते. ये अघोषित आपातकाल नहीं तो क्या है ? समय समय पर सरकार की दमनकारी नीतियाँ सामने आती रही है जिससे सरकार हर उस आवाज को दबाने की कोशिश करती आयी है जो उसके विरुद्ध हो !
1975 में इंदिरा गांधी ने संविधान के नाम पर इमरजेंसी की घोषणा की थी वहीं अभी देश में अघोषित आपातकाल जैसी व्यवस्था कायम है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना आधिपत्य जमाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.पिछले चार सालों में देश में लगातार असहिष्णुता और हिंसा का माहौल सुचिंतित ढंग से तैयार किया गया है और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी या उसके नेताओं से भिन्न विचार रखने वालों को "देशद्रोही" कहने की प्रवृत्ति पनपती जा रही है. यदि लोकतंत्र में मुक्त बहस और विभिन्न विचारों को प्रकट करने की आजादी नहीं रहेगी तो फिर ऐसा लोकतंत्र कितने दिन टिक सकता है?
लोकतंत्र का स्थान भीड़तंत्र लेता जा रहा है जिसका एक प्रमाण भीड़ द्वारा गौहत्या का आरोप लगाकर खुलेआम की जाने वाली हत्याएं, महिलाओं को बाजारों में नंगा घुमाने और दलितों-अल्पसंख्यकों को किसी न किसी बहाने पीड़ित करने की लगातार होने वाली घटनाएं हैं. जब इनके दोषियों को जेल से जमानत पर छूटने के बाद केंद्रीय मंत्री माला पहना कर सम्मानित करें, तो देश को जो संदेश जाता है वह स्पष्ट है.
सीबीआई में अंदर लड़ाई चल रही है, न्यायपालिका से जुड़ी खबरें भी सामने हैं । अनेकों संस्थाओं की स्थिति काफी खराब हो चुकी है ।आज जो स्थिति है, वैसी पहले कभी नहीं रही! दंगाई और उन्मादी शक्तियों का हिन्दुस्तान प्रयोगशाला बनता जा रहा है।देश में मंहगाई चरम पर है, किसान कर्ज में डूबने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं, युवकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। पेट्रोल और रसोई गैस के दामों में भारी इजाफा हुआ है।
वित्तीय आपातकाल
नोटबंदी मोदी सरकार द्वारा लगाया गया एक वित्तीय आपातकाल था, जिसमे कई निर्दोष लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा और देश की आम जनता को बहुत तकलीफें उठानी पड़ी , लोगो के सामने कैश संकट आ गया था , नोटबंदी के चलते लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से भी हाथ धोना पड़ा था और मंदी की मार झेलनी पड़ी थी!
नौकरियों का आपातकाल!
देश में नौकरियों के सबसे कम होने की एक सरकारी रिपोर्ट मीडिया में आई है। इसके मुताबिक, पिछले 45 साल में 2017-18 में सबसे ज्यादा बेरोजगारी रही। यानी 1972 के बाद से देश में नौकरी पाने वालों की तुलना में सबसे कम जॉब पैदा हुए.
भारत में संघी मानसिकता के लोग ईसाइयों, दलितों, मुसलमानों और हिंदुयों को आपस में लड़ाने पर आमादा हैं! बेरोजगार युवाओं के सामने कृत्रिम दुश्मन खड़ा कर अपने से अलग हर शख्स को दुश्मन के रूप में दिखाया जा रहा है और इस उन्मादी भीड़ को कभी भी, किसी को मारने-पीटने व हत्या करने तक की अघोषित छूट सरकार ने दे रखी है! इन अपराधियों को सत्ता का वरदहस्त प्राप्त है। आज यह स्थिति पैदा कर दी गई है कि आप सरकार या प्रधानमंत्री, किसी भाजपा नेता या किसी परम्परा का विरोध करते हैं, सरकार की किसी नीति का विरोध करते हैं तो आप तुरन्त देशद्रोही करार दिये जाते हैं। कोई उन्मादी भीड़ आयेगी और आपको मार कर आराम से तुरन्त किसी और शिकार की तलाश में चली जायेगी। उनका बाल भी बांका नहीं होगा !
भारत के हर नागरिक को बोलने का मौलिक अधिकार है जिसके अनुसार कोई व्यक्ति सरकार या किसी भी संगठन के खिलाफ आवाज़ उठा सकता है, परन्तु आज वही हमारा मौलिक अधिकार खतरे में है अगर हम सरकार के खिलाफ या बीजेपी पार्टी के विरुद्ध कोई भी बात बोलेंगे तो हमे देशद्रोही का सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा! भारत का एक नागरिक होने के नाते मुझे ये प्रतीत हो रहा है की भारत में अभी अघोषित आपातकाल की स्थति बनी हुई है अगर यही सब आगे भी चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं है की जब भारत में घोषित आपातकाल होगा!
जाने किस बड़े नेता ने मोदी सरकार के इस अघोषित आपातकाल के बारे में क्या कहा
यशवंत सिन्हा - मौजूदा सरकार के शासन में देश में अघोषित आपातकाल लग गया है. उन्होंने कहा कि देश में कर आतंकवाद आम बात बन गई है उन्होंने कहा कि मोदी का 'अघोषित आपातकाल' भारतीय राजनीति में डाला गया धीमा जहर है।
अरविन्द केजरीवाल- जब से देश में भाजपा की सरकार आई है, तब से देश एक अघोषित आपातकाल में जी रहा है। सरकार के कार्यकाल के आखिरी कुछ महीनो में तो भाजपा सरकार ने नैतिकता की सारी हदें पार कर दी। सरकार का जनता के कम्प्यूटर्स पर निगरानी रखने का फैसला, जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। क्या जनता के अधिकारों में इस प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त किया जा सकता है?
अहमद पटेल- आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी ने माफी मांगी थी और अपनी गलतियां सुधारी थीं, लेकिन क्या पिछले चार साल से चल रहे ‘अघोषित आपातकाल’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माफी मांगेंगे।उन्होंने आरोप लगाया, ‘लोगों को मारा जा रहा है और धमकाया जा रहा है, एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है, आर्थिक और नागरिक आजादी पर अंकुश लगाया जा रहा है।’ क्या ये लोग पिछले चार साल से चल रहे आपातकाल के लिए माफी मांगेंगे?
शरद यादव- देश में वर्तमान में भय का जो माहौल बना हुआ है, वह दिखाता है कि भारत में ‘अघोषित आपातकाल’ लगा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘यदि आपातकाल लगा है तो इसे देखा जा सकता है। इसका सबको पता रहता है लेकिन, यदि ‘अघोषित आपातकाल’ लगा हो तो यह आपातकाल से भी ज्यादा खतरनाक होता है।
मायावती- पिछले चार वर्षों से देश में 'अघोषित आपातकाल' की स्थिति है और इसके चलते आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों में बीजेपी की सरकारों का रवैया गरीबों, किसानों, मजदूरों, पिछड़ों और दलितों के हितों के खिलाफ है। और नोटबंदी के कारण देश फाइनेंशियल इमर्जेंसी का सामना कर रहा है।
मनीष सिसोदिया - आखिर कैसे पीएमओ दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिल्ली के मुख्यमंत्री से मिलने से रोक सकते हैं. क्या ये दिल्ली में अघोषित आपातकाल है?

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