साहब उस बच्चे की तरह है जो जनता कुछ नहीं लेकिन कहलवाना चाहता है क्लास मॉनिटर,समझे पूरी खबर
साहब उस बच्चे की तरह है जो जनता कुछ नहीं लेकिन कहलवाना चाहता है क्लास मॉनिटर,समझे पूरी खबर
आज मुझे अपने प्राइमरी स्कुल के सहपाठी की याद आ गई . बहुत ही 'होशियार' बच्चा था . जब भी टीचर कोई आसान सवाल पूछती. तो येस मेंम येस मेम बोल कर जोर से चिळलाने लगता . बेबी की स्पेलिंग पूछी तो येस मेम ,डोल की स्पेलिंग पूछी तो येस मेम और गलती से चेकोस्लोवाकिया की स्पेलिंग पूछ ली ,तो मेम से नजरे छुपने लगता , कंही गलती से भी मेम ने पूछ लिया तो उसके 'होशियार बच्चे' के तमगे का क्या होगा ? सिर्फ नजरे ही नही , में आई गो टू टोयलेट का बहाना करके खिसक भी जाता .
कमोबेश यही हाल हमारे साहेब का है . इनसे योग की बात करा लो , स्वास्थ्य की बात करा लो , नेतिकता के ऊपर उपदेश दिला लो , मन की बात करा लो , चुनाव रैली में भाषण दिला दो , विदेशी दौरे करा लो . लेकिन जब देश में कोई विकराल समस्या आएगी , उस के हल की बात करना तो दूर , जिक्र करना भी मुनासिब नही समझेगे .
आज पूरा उतर भारत भीषण प्रदुषण की चपेट में आया हुआ है . केंद्र सरकार इस मुद्दे पर मौन है . राज्य सरकारों के साथ , एक अच्छे वातावरण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के उपर भी है . एक फुल फ्लेजड पर्यावरण मंत्रालय केंद्र सरकार के पास है . लेकिन , साहेब से ,इस विषय पर दो शब्द नही फूटे गये . ना कोई दीर्घकालीन नीति पर चर्चा और ना कोई तत्कालीन पर चर्चा . और इस पर बात करके भी क्या फायदा . इसके लिए तो काम करना पड़ेगा . माथा पच्ची करनी पड़ेगी . यह कोई ट्रिपल तलाक या कब्रिस्तान वाला मामला थोड़े ही ना है , की कुछ करना भी नही पड़े और वोट भी मिलेगे .
अब भक्तगण यह मत बोलना की कांगेस ने सतर साल में क्या किया था . स्मोग के रूप में प्रदुषण का यह विकराल रूप , पिछले दो साल की ही कहानी है .
आज मुझे अपने प्राइमरी स्कुल के सहपाठी की याद आ गई . बहुत ही 'होशियार' बच्चा था . जब भी टीचर कोई आसान सवाल पूछती. तो येस मेंम येस मेम बोल कर जोर से चिळलाने लगता . बेबी की स्पेलिंग पूछी तो येस मेम ,डोल की स्पेलिंग पूछी तो येस मेम और गलती से चेकोस्लोवाकिया की स्पेलिंग पूछ ली ,तो मेम से नजरे छुपने लगता , कंही गलती से भी मेम ने पूछ लिया तो उसके 'होशियार बच्चे' के तमगे का क्या होगा ? सिर्फ नजरे ही नही , में आई गो टू टोयलेट का बहाना करके खिसक भी जाता .
कमोबेश यही हाल हमारे साहेब का है . इनसे योग की बात करा लो , स्वास्थ्य की बात करा लो , नेतिकता के ऊपर उपदेश दिला लो , मन की बात करा लो , चुनाव रैली में भाषण दिला दो , विदेशी दौरे करा लो . लेकिन जब देश में कोई विकराल समस्या आएगी , उस के हल की बात करना तो दूर , जिक्र करना भी मुनासिब नही समझेगे .
आज पूरा उतर भारत भीषण प्रदुषण की चपेट में आया हुआ है . केंद्र सरकार इस मुद्दे पर मौन है . राज्य सरकारों के साथ , एक अच्छे वातावरण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के उपर भी है . एक फुल फ्लेजड पर्यावरण मंत्रालय केंद्र सरकार के पास है . लेकिन , साहेब से ,इस विषय पर दो शब्द नही फूटे गये . ना कोई दीर्घकालीन नीति पर चर्चा और ना कोई तत्कालीन पर चर्चा . और इस पर बात करके भी क्या फायदा . इसके लिए तो काम करना पड़ेगा . माथा पच्ची करनी पड़ेगी . यह कोई ट्रिपल तलाक या कब्रिस्तान वाला मामला थोड़े ही ना है , की कुछ करना भी नही पड़े और वोट भी मिलेगे .
अब भक्तगण यह मत बोलना की कांगेस ने सतर साल में क्या किया था . स्मोग के रूप में प्रदुषण का यह विकराल रूप , पिछले दो साल की ही कहानी है .
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