लोकतंत्र का अर्थ केवल अधिकार नहीं होता है. लोकतंत्र का अर्थ होता है अधिकार और कर्तव्यों का समन्वय. भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे दुखद बात यह है, कि अभी तक इसकी ढेर सारी कमियों को दूर नहीं किया गया है. आइए मनाएँ गणतन्त्र का पर्व जन जागरूकता के साथ. जागरूक जनता हीं लोकतंत्र में अपने कर्तव्यों को खुद निभाती है, और जनता के द्वारा निभाए गए कर्तव्य हीं जनता के अधिकारों की रक्षा करते हैं. किसी देश के संविधान में समय के साथ जब सुधार नहीं किए जाते हैं, तब उस देश में लोकतान्त्रिक मूल्यों का हनन होने लगता है. देश से बढ़कर न धर्म है, न जाति, न भाषा, न राज्य, भारत भूमि में हीं हमने जन्म पाया है. और इसी धरती पर हमारा पालन-पोषण हुआ है. जिस देश की जनता जागरूक नहीं है, वहाँ लोकतंत्र मूकदर्शक बनकर रह जाता है. और जनता दुख सहती रहती है. लोकतंत्र में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सत्ता में बैठने वाले के पास विध्वंसक शक्तियाँ न हो. जिस लोकतंत्र में स्त्री और पुरुष के हितों का बराबर ध्यान न रखा गया हो, वह केवल नाम का लोकतंत्र है. जनसहभागिता के बिना लोकतंत्र निष्प्रभावी है. मीडिया और राजनीत सही ह...
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