क्या केजरीवाल की माफ़ी साबित होगी वजीर की चाल?समझने के लिए पढ़िए पूरी खबर

कल देर शाम मीडिया में अरविन्द केजरीवाल की मजीठिया से माफ़ी बड़ा मुद्दा बना रहा ,दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने मजीठिया पर लगाए ड्रग्स कारोबार के आरोप में लिखित माफ़ी माँग ली है.
लेकिन इस माफ़ी के बाद बहुत सवाल खड़े हो गए है क्या आज देश के न्याय प्रक्रिया इस हद तक ख़राब हो चुकी है कि जँहा एक ईमानदार आदमी को माफ़ी मांगनी पड़े!

आपको चार जजों द्वारा कि गयी प्रेस कॉन्फ्रेंस तो याद ही होगी जिंसमे चारो जजों ने न्याय पालिका पर सवाल उठाये थे जो कि आज सत्य दिखाई दे रहे है क्योकि भारत की न्याय पालिका में झूठ का बोलबाला बढ़ता जा रहा है! जिसे देखते हुए चारों जजों ने भारत के लोकतंत्र ख़त्म होने तक की बात कह दी थी ,और सच में भारत की न्यायपालिका इतनी लम्बी है जिसमे एक केस को ख़त्म होने में 10-20 साल का समय लग जाता है और ढेरों पैसे

आज विरोधियो और मीडिया द्वारा केजरीवाल की माफ़ी पर इतना बदनाम किया जा रहा है जैसे चोरी ,डैकती और हत्या से बड़ा अपराध माफ़ी मांगना हो!!

क्या है पूरा मामला 
आपको बता दे कि पंजाब चुनाव के समय अरविन्द केजरीवाल ने विक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स कारोबार के आरोप लगाए थे यंहा तक कि केजीवाल ने कहा था कि अगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आती है तो वो पंजाब से नशे के साथ साथ नशे के कारोबार करने वालो को भी पंजाब से बहार का रास्ता दिखाएंगे ! यंहा तक कि केजीवाल ने सरकार आने पर मजीठिया को जेल भेजने तक का एलान किया था

क्यों मांगनी पड़ी माफ़ी 
लेकिन पंजाब में कांग्रेस की सरकार आ गयी और बीजेपी-अकाली और कांग्रेस की मिलीभगत से अरविन्द केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा लगा दिया गया ! अब केजरीवाल के लियें मुश्किल हो गया कि वो ड्रगस कारोबार के आरोपों को कैसे सिद्ध कर पाएंगे। क्योकि न तो पंजाब में उनकी सरकार आयी और न ही  उन्हें  मजीठिया के रिस्तेदारो पर विश्वास था कि वो मजीठिया के खिलाफ कोई एक्शन लेंगे !
आपको पता ही होगा कि विक्रम सिंह मजीठिया रिश्ते में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के भतीजे लगते है और अकाली दल के बादल के साले !

कुछ हमारे देश की न्याय प्रक्रिया इतनी जटिल है कि सच्चे आदमी को लोहा लेना बहुत ही मुश्किल है !इस बात को समझने के लिए कहीं भी दूर जाने की जरूरत नहीं है। अपने आसपास ऐसे कई केस देखे होंगे जो झूठे होने के बावजूद आरोपी को कोर्ट के चक्कर लगवाने में कामयाब रहे हो कोर्ट के चक्कर लगाने से कई लोग ना सिर्फ मन से टूट जाते हैं लेकिन उनका समय और पैसा भी बर्बाद होता है!
कोई भी केस लड़ने के लिए एक अच्छा वकील चाहिए जो मोटी फीस वसूलता है जिसके लिए आम आदमी पार्टी के पास पैसो का अभाव है और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को बार-बार कोर्ट की सुनवाई में जाने से उनके समय की बर्बादी होती जिससे वो दिल्ली की जनता की सेवा में पूरा ध्यान और समय लगाने में असमर्थ थे।

अरविंद केजरीवाल को अलग-अलग केसों में फंसा कर उनका समय शक्ति और पैसा बर्बाद करना यह भाजपा की एक बहुत ही सोची समझी चाल थी !और अंग्रेजों का बनाया और काले अंग्रेजों का पाला हुआ यह सिस्टम पूरे तरीके से केजरीवाल को बर्बाद करने में उनका साथ दे रहा था !इसलिए यह कहना सही होगा कि अगर केजरीवाल को झुकना पड़ा है तो जेटली या मजीठिया की वजह से नहीं लेकिन ऐसे सिस्टम की वजह से है जो आम आदमी के विरुद्ध काम करता है !
गौरतलब है कि केजरीवाल इसी सिस्टम को बदलने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं अगर सिस्टम ही उन्हें खत्म कर देगा तो फिर यह लड़ाई कैसे आगे लड़ पाएंगे ?

इसके अतरिक्त भारत के सिस्टम में आज जो कुरीतियां है उनके कारण केजरीवाल को माफ़ी मांगनी पड़ी है 

जैसे भारत में एक आम आदमी को छोटे से गुनाह के लिए या तो झूठे केस में फंसा कर जेल में डाला जा सकता है लेकिन जब शक्तिशाली लोग कोर्ट के सामने लाए जाते हैं तो जज ही बदल दिए जाते हैं!
भारत में किसी भी पैसे वाले या शक्तिशाली नेता के सामने बोलने से आपको आसानी से झूठे केस में फंसाया जा सकता है
भारत में मजीठिया और अरुण जेटली जैसे लोग सिस्टम को अपने तरीके से इस्तेमाल करके केजरीवाल जैसे ईमानदार नेता से माफी मंगवा सकते हैं !

आज हम सभी को निराश होने की जरूरत नहीं है हम जिस भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है वो लोग बहुत ही शक्तिशाली है इन भ्रष्टाचारियो को हराने के लिए हमे ईमानदारी के साथ साथ समझदारी से भी काम लेना होगा जो आज केजरीवाल ने किया।
क्योकि उनके दुसमन इतने कमजोर नहीं जो क़ि आसानी से अपनी कब्र खुद खोद लेंगे वो किसी भी कीमत पर अरविन्द केजरीवाल को झूठे मामलों में फंसा कर ख़तम करने की कोसिस में है
इसलिए आज  की केजरीवाल की माफ़ी आने वाले समय  समझदारी और वजीर की चाल सिद्ध होगी। 

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