अघोषित आपातकाल- लोकतंत्र खतरे में है !

आज देश अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है! हम जिस तरह देख रहे हैं कि आज उन सभी आवाजो को दबाया जा रहा है जो सरकार या सरकार की नीतियों के खिलाफ हों। आज देश के ऐसे हालात हैं जिसमे छात्र (JNU कांड और गिरती शिक्षा व्यवस्था) ,दलित(गुजरात और विभिन्न शहरों में घटित दलित कांड) ,सैनिक(अपने हक़ और घटते रक्षा बजट), किसान (बदहाली और गरीबी ), युवा (बेरोजगारी), व्यापारी (GST और नोटबंदी), आम आदमी (बढ़ती महँगाई और बढ़ते भ्र्स्टाचार) सभी लोग सरकार की दमनकारी नीतियों से त्रस्त है और सभी की आवाज को लगातार दबाये जाने की कोशिश की जा रही है !

मोदी और शाह की जोड़ी ने देश में तानाशाही का तांडव मचाया हुआ है , सरकारी संस्थाओं की स्वायत्ताओं को पैरों तले दबाया और कुचला जा रहा है ,हर वो जुबान को काटने की कोशिश की जा रही है जो सरकार के विरुद्ध हो।
आज एक व्यक्ति देश से ऊपर है वो देश में डर ,नफरत और हिँसा का माहौल पैदा करना चाहते है! वो अपनी चुनावी रैलियों में शिक्षा और स्वास्थ की बात नहीं करता , ना किसान और रोजगार की बात करता, वो बात करता है हिन्दू-मुसलमान की ,वो बात करता है पाकिस्तान की ,वो बात करता है डर और नफरत की ,वो बात करता है अपने पिछड़े जाति की

सोचो इस तरह की राजनीती इस देश को कँहा तक ले जाएगी , जिस आदमी पर देश के लिए विज़न न हो ,वो देश की तरक्की कैसे कर सकता है , आज वोटों के लिए देश को दो हिस्सों में बाँटा जा रहा है एक वो जो मोदी को सपोर्ट करते है उन्हें तानाशाही सरकार में देशभक्त की संज्ञा दी जाती है और दूसरे वो जो सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करते है उन्हें देशद्रोही बता दिया जाता है!

जँहा जज लोया की मौत आज भी आज भी रहस्यमई है ! और जिस सरकार में देश के 4 बड़े जजों को प्रेस कांफ्रेंस करके कहना पड़ा कि आज लोकतंत्र खतरे में है , जँहा राफेल की फाइल खुलने के कुछ दिन बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगना ,जिन्हे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सिरे से खारिज किया और देश की न्यायपालिका को खतरे में बताया ,उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, इसीलिये जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए गए. सीजेआई ने कहा कि क्या चीफ जस्टिस के 20 सालों के कार्यकाल का यह ईनाम है? 20 सालों की सेवा के बाद मेरे खाते में सिर्फ  6,80,000 रुपये हैं. कोई भी मेरा खाता चेक कर सकता है. सोचो ये आपातकाल नहीं तो क्या है ?

क्या सच में हम एक लोकतान्त्रिक देश में रह रहे है? जहाँ पर सरकार की गलत नीतियों पर अगर सवाल किया जाए तो देशद्रोही करार दे दिया जाता है जो लोग सरकार के खिलाफ आवाज उठाते है उन्हें या तो देशद्रोही घोषित कर दिए जाता है या फिर उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोने पड़ सकते है! गाय के नाम पर आये दिन मासूम लोगों को मार दिया जा रहा है !,हिन्दू मुसलमान के नाम पर आपसी भाईचारा ख़त्म किया जा रहा है !
आज पत्रकारों को मोदी सरकार की आलोचना करने की सजा भुगतनी पड़ रही है पुण्य प्रसून वाजपेयी को जिस तरह से पहले मास्टर स्ट्रोक का प्रसारण बाधित करके तंग किया गया और बाद में चैनल से ही चलता कर दिया गया , उन घटनाक्रम को देखते हुए आप कैसे इस बात की कल्पना भी कर सकते हैं कि देश में मीडिया आजाद है? मित्रों, २३ अप्रैल २०१४ को एबीपी न्यूज़ को दिए इंटरव्यू क्या आपने देखा मोदी का अब तक का सबसे कठिन ईंटरव्यू? में मोदीजी से पूछा था कि क्या आप भविष्य में हमारे साथ भी सख्ती बरतेंगे तो मोदी जी ने हँसते हुए कहा था कि यह आपके व्यवहार पर निर्भर करेगा.

यही वजह है कि देश की ज्यादातर मीडिया आज मोदी सरकार की गुलामी करती नज़र आती है! वो हमेशा सरकार की आलोचना करने से बचती रही है ! और झूठा महिमामंडन करने का काम कर रही है!
गोरी लंकेश की हत्या भी इसी सम्बन्ध में एक कड़ी है जानकारी के मुताबिक, गोरी लंकेश की हत्या करने वाला अमोल काले हिंदू जनजागरण समिती और सनातन संस्था से जुड़ा रहा है बता दें कि गोरी लंकेश मर्डर केस में कर्नाटक पुलिस ने 30 मई को दाखिल चार्जशीट में पुलिस भी इस नतीजे पर पहुंची है कि हिंदू धर्म की आलोचना के चलते ही गौरी लंकेश की हत्या की गई थी! मोदी सरकार सभी सरकारी संस्थानों का दुरूपयोग विपक्षी नेताओ के खिलाफ करने का काम कर रही है ! ये अघोषित आपातकाल नहीं तो क्या है?

उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के करीब 40 लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन समेत कई मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए जिसे देखते हुए सरकार ने धारा 144 लगा दी जिसके कारण कोई भी सवैधानिक संस्था किसी भी प्रकार के झंडे और स्पीकर से प्रचार नहीं कर सकते और ना ही धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी नहीं कर सकते. ये अघोषित आपातकाल नहीं तो क्या है ? समय समय पर सरकार की दमनकारी नीतियाँ सामने आती रही है जिससे सरकार हर उस आवाज को दबाने की कोशिश करती आयी है जो उसके विरुद्ध हो !

1975 में इंदिरा गांधी ने संविधान के नाम पर इमरजेंसी की घोषणा की थी वहीं अभी देश में अघोषित आपातकाल जैसी व्यवस्था कायम है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना आधिपत्य जमाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.पिछले चार सालों में देश में लगातार असहिष्णुता और हिंसा का माहौल सुचिंतित ढंग से तैयार किया गया है और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी या उसके नेताओं से भिन्न विचार रखने वालों को "देशद्रोही" कहने की प्रवृत्ति पनपती जा रही है. यदि लोकतंत्र में मुक्त बहस और विभिन्न विचारों को प्रकट करने की आजादी नहीं रहेगी तो फिर ऐसा लोकतंत्र कितने दिन टिक सकता है? ये आपको सोचना है

लोकतंत्र का स्थान भीड़तंत्र लेता जा रहा है जिसका एक प्रमाण भीड़ द्वारा गौहत्या का आरोप लगाकर खुलेआम की जाने वाली हत्याएं, महिलाओं को बाजारों में नंगा घुमाने और दलितों-अल्पसंख्यकों को किसी न किसी बहाने पीड़ित करने की लगातार होने वाली घटनाएं हैं. जब इनके दोषियों को जेल से जमानत पर छूटने के बाद केंद्रीय मंत्री माला पहना कर सम्मानित करें, तो देश को जो संदेश जाता है वह स्पष्ट है.

सीबीआई में अंदर लड़ाई चल रही है, न्यायपालिका से जुड़ी खबरें भी सामने हैं । अनेकों संस्थाओं की स्थिति काफी खराब हो चुकी है ।आज जो स्थिति है, वैसी पहले कभी नहीं रही! दंगाई और उन्मादी शक्तियों का हिन्दुस्तान प्रयोगशाला बनता जा रहा है।देश में मंहगाई चरम पर है, किसान कर्ज में डूबने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं, युवकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। पेट्रोल और रसोई गैस के दामों में भारी इजाफा हुआ है। जंहा देश में बेरोजगारी से देश में हाहाकार मचा हुआ है ऐसे में देश में रोजगार देने के बजाय हिंदुत्व का मुद्दा गरमाया जा रहा है ! देश के हालात मोदी सरकार में इतने गिर चुके हैं कि देश की कई प्रतिष्ठित सरकारी कंपनियां बंद होने की कगार पर है!

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