देखिये कैसे मौसमी सिंह ने योगी आदित्यनाथ के ताजमहल में झाड़ू लगाने को बताया तमाशा ,पूरा पढ़े।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आज सुबह -सुबह एक साथ सभी न्यूज चैनलों पर झाडू लेकर नज़र आये .
मौका था ताजमहल के मुआयने का. शहर था आगरा और  जगह थी ताज के पश्चिमी गेट का पार्किंग लॉट.
साथ थे योगी के कुछ अफसर. कुछ कारिंदे. कुछ साजिंदे. कुछ विधायक और कुछ लोकल नेता.
एक साथ दर्जनों कैमरे चालू थे. कैमरामैन चौकस थे. रिपोर्टर फोनो पर अपने-अपने चैनलों से जुड़े थे. सब कुछ लाइव था.
सीन तैयार था. एक्शन शुरु होने से पहले योगी आदित्यनाथ सबको निर्देश दे रहे थे. तुम इधर -तुम उधर. सब रेडी…? ओके? और सब शुरु हो गए

अपने सीएम के साथ झाड़ू थामे दर्जनों हाथ झाड़ू थामे हुए . सामने सड़क पर बिखरा कूड़ा. घूमते कैमरे, उड़ती धूल और  एक साथ सामूहिक झाड़ू के प्रहार से कूड़े को सिमटते-बिखरते

मैं चैनल बदल -बदलकर देखने लगा कि कहां क्या चल रहा है? तभी टिक गया आजतक पर स्टूडियो में चैनल की एंकर नेहा बाथम थी और ताज के पास झाड़ू मारो अभियान के बारे में बताने के लिए रिपोर्टर मौसमी सिंह लाइव थी. मौसमी सिंह तमाशानुमा तस्वीरों की सप्रसंग व्याख्या कर रही थी. मौसमी सिंह को सुनकर पता चला कि सीएम योगी के आने की खबर के बाद आगरा को सजाया -संवारा गया है. कई इलाकों में साफ -सफाई हुई. चमकाया गया लेकिन ताज के पास इस पार्किंग लॉट में जानबूझकर तीन दिनों से सफाई नहीं की गई. ताकि जब सीएम योगी अपने लाव-लश्कर के साथ दीदार -ए-ताज के लिए आएं तो कम से कम इतना कूड़ा तो मिले जो उनके कर कमलों से सफाई को सिधार जाए.

मौसमी ने बताया कि कुछ सफाई कर्मचारी से ये भी पता चला कि फटे -पुराने चप्पल या कुछ भारी भरकम कूड़ा को हटा दिया और हल्के कूड़े को जमा रहने दिया गया ताकि योगी आदित्यनाथ के साथ सब मिलकर उसको साफ कर सकें. मौसमी सिंह बोल रही थी - ये फोटो ऑपरचुनिटी है . नेता और सफाई कर्मचारी योगी के साथ सफाई करने और तस्वीरों में चमकने का इंतजार कर रहे थे. ये स्वच्छता अभियान का माखौल है. इस तमाशे को न तो आगरा को जरुरत थी. न योगी को.

क्या इस झाड़ू से भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता की सफाई करेंगे ? कमेंटरी के साथ सवाल उछालती मौसमी सिंह कैमरों के लिए रचे गए इस नजारे का हाल बयां कर रही थी.

मैं इस बीच दूसरे टीवी पर दूसरे न्यूज चैनल भी देख रहा था. फिर वापस आजतक पर आया. मौसमी सिंह लगातार तस्वीरों का वर्णन करते हुए तमाशाई मानसिकता को आईना दिखा रही थी. मौसमी ने बार -बार जोर देकर कहा कि जब आस -पास पूरा साफ है तो फिर यहां क्यों कूड़ा जमा किया गया था?
उन्होंने कहा कि मैं शहर के कई हिस्सों के देखने के बाद जब इस पार्किंग लॉट में आई थी तो यहां फैले कूड़े को देखकर दंग रह गई थी. तभी मुझे सफाई कमर्चारियों से पता चला कि ये तैयारी योगी जी के हाथों से सफाई करवाने के लिए की गई है.

नहीं की गई होती तो योगी जी के झाड़ूमार सफाई अभियान के लिए इतना कूड़ा कहां से मिलता? झाड़ूमार अभियान के दौरान कुछ नेता हुलस -हुलस कर झाड़ू मार रहे थे. कोई थोड़ा झुककर तो कोई पूरा झुककर दे झाड़ू ..दे झाड़ू के इस यज्ञ में ताज की पार्किंग में बिखराए गए कूड़े की आहूति दे रहे थे

तुमने बहुत सटीक रिपोर्टिंग की है मौसमी . एक रिपोर्टर का यही काम होता है. जो दिखे, वो बताना नहीं. जो नहीं दिखे, वो भी बताना. वरना ऐसी कमेंटरी तो कई कर ही रहे थे कि देखिए योगी जी किस तरह से झाड़ू लगा रहे हैं …देखिए उनके साथ कई अफसर और विधायक भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत सफाई में जुटे हैं …देखिए ये इलाका कितना गंदा था ….आदि ..आदि …ये तो आदि से अंत तक चलने वाली रिपोर्टिंग है.

पत्रकारिता वही है , जो तुमने किया है मौसमी. बाकियों का मैंने बहुत देखा नहीं , इसलिए कह नहीं सकता कि कौन रिपोर्टर इस तरह से आंखों देखा हाल बयां कर रहा था. वंदे मातरम और जय श्रीराम के नारों के बीच इस तमाशाई सफाई अभियान का आंखों देखा हाल ऐसे ही सुनाया जाना चाहिए था.

तस्वीरों में योगी आदित्यनाथ पहले झाड़ू वाले जत्थे के साथ झाड़ू लगाते दिखे. उनको झाड़ू लगाते देख उनके दायें -बायें मौजूद या कहें तैनात नेता और अफसर उनके लय को पकड़कर ही हाथ चला रहे थे . फिर जब बिखरा कूड़ा जमा हो गया तो उनके हाथों में बेलचा दिखा . बगल में खड़े सूबे के डिप्टी सीएम के हाथों में अल्यूमुनियम की टोकरी दिखी . योगी बेलचा से कूड़ा उठाते . डिप्टी सीएम अपनी टोकड़ी में उसे जगह देते . मैं इस दृश्य का इंतजार कर ही रहा था कि एक और पगड़ीधारी नेतानुमा शख्स सहयोग की मुद्रा में सीएम और डिप्टी सीएम के बीच आ गए . फिर उन्होंने टोकरी थाम कर डिप्टी सीएम को फ्री कर दिया .

एक -दो बेलचा कूड़ा योगी जी ने टोकड़ी में रखा …फिर सीन कट ..लाइव कट हो गया . टीवी चैनल पर बहस चालू हो गया . मैं देख नहीं पाया कि कूड़े का पूरा अंजाम क्या हुआ।
मामला कूड़ा और सफाई अभियान से हटकर शाहजहां , उनकी तीसरी बेगम मुमताज और ताज पर शिफ्ट हो गया …
समझ में नहीं आया कि योगी आदित्यनाथ को इस तमाशे का हिस्सा बनने की जरुरत क्या थी ..? किसकी सलाह पर सामूहिक झाड़ूमार अभियान का फैसला हुआ ? और हुआ भी वो वहां झाड़ू मारते ,जहां हमेशा कचरा होता है , कोई देखने नहीं जाता …आखिरी सवाल यही है कि योगी जी आपने ये क्यों किया ….?

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