ये कैसी परंपरा? जँहा देवी पूजा के नाम पर मंदिर में लड़कियों को 15 दिन रखा जाता है टॉपलेस!
परंपराओं के नाम पर हमारे देश में क्या-क्या नहीं होता. ऐसा ही वाक्या तमिलनाडु के मदुरै स्थित मंदिर में देखने को मिला जंहा से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो हैरान करने वाली हैं. यहां परंपरा के नाम पर कुछ चुनी हुई लड़कियों को मंदिर परिसर में 15 दिन तक ‘टॉपलेस’ रखा जाता है. 10 साल से 14 साल तक उम्र की इन लड़कियों को मंदिर परिसर में पुजारी की देखरेख में रहना पड़ता है.
इन लड़कियों को अम्मान (देवी जैसे ) का स्वरूप माना जाता है. इन लड़कियों को सिर्फ धावानी (लहंगे जैसा कपड़ा) पहनाया जाता है. कमर से ऊपर के हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं होता, बल्कि सिर्फ कुछ आभूषण पहनाए जाते हैं. करीब 60 गांवों के लोग इस आयोजन के लिए जुटते हैं.
बताया जा रहा है कि लड़कियों को उनके परिवार वाले अपनी मर्जी से यहां भेजते हैं. हर साल सात लड़कियों को इस परंपरा के लिए चुना जाता है. लड़कियों को टॉपलेस रखने की जानकारी मदुरै के कलेक्टर तक पहुंची तो उन्होंने गंभीर रुख अपनाया.
कलेक्टर ने परंपरा में हिस्सा लेने वाली लड़कियों को पूरी तरह कपड़े से ढकने के निर्देश दिए है . कलेक्टर के मुताबिक ये क्योंकि लोग अपनी संस्कृति के तहत खुद लड़कियों को यहां भेजते हैं, बरसों से ये परंपरा चली आ रही है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. कलेक्टर ने ये सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि लड़कियों से किसी तरह का दुर्व्यवहार ना हो.
कलेक्टर ने लड़कियों के परिवार वालों से कहा है कि वो 15 दिन तक खुद भी मंदिर में रहे जिससे लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. परिवार की महिलाओं को दिन के समय लड़कियों से मिलने के लिए भी कहा गया है.
इन लड़कियों को अम्मान (देवी जैसे ) का स्वरूप माना जाता है. इन लड़कियों को सिर्फ धावानी (लहंगे जैसा कपड़ा) पहनाया जाता है. कमर से ऊपर के हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं होता, बल्कि सिर्फ कुछ आभूषण पहनाए जाते हैं. करीब 60 गांवों के लोग इस आयोजन के लिए जुटते हैं.
बताया जा रहा है कि लड़कियों को उनके परिवार वाले अपनी मर्जी से यहां भेजते हैं. हर साल सात लड़कियों को इस परंपरा के लिए चुना जाता है. लड़कियों को टॉपलेस रखने की जानकारी मदुरै के कलेक्टर तक पहुंची तो उन्होंने गंभीर रुख अपनाया.
कलेक्टर ने परंपरा में हिस्सा लेने वाली लड़कियों को पूरी तरह कपड़े से ढकने के निर्देश दिए है . कलेक्टर के मुताबिक ये क्योंकि लोग अपनी संस्कृति के तहत खुद लड़कियों को यहां भेजते हैं, बरसों से ये परंपरा चली आ रही है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. कलेक्टर ने ये सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि लड़कियों से किसी तरह का दुर्व्यवहार ना हो.
कलेक्टर ने लड़कियों के परिवार वालों से कहा है कि वो 15 दिन तक खुद भी मंदिर में रहे जिससे लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. परिवार की महिलाओं को दिन के समय लड़कियों से मिलने के लिए भी कहा गया है.
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