पीएम मोदी के खिलाफ रामलीला मैदान में अनशन पर बैठेंगे अन्ना हजारे! कहा बड़ा दुखी होकर आपको पत्र लिख रहा हूं!
समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखते हुए कड़ी चेतावनी दी है। अन्ना एक बार फिर से आंदोलन के मूड में नजर आ रहे हैं। अन्ना हजारे ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है
अन्ना ने पीएम को लिखा है कि मोदी सरकार तीन सालों से सत्ता में है,
लेकिन अभी तक लोकपाल बिल नहीं लाई। अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल ना लाने पर मोदी सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की धमकी दी है। पीएम मोदी को लिखे लेटर में अन्ना ने कहा है कि तीन सालों से मैं आपकी सरकार से लोकपाल लाने और किसानों के कल्याण के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए कह रहा हूं।
जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में कदम नहीं उठाने और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिये स्वामिनाथन समिति की रिपोर्ट पर अमल नहीं किये जाने का केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय किया है।
अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखते हुए अगस्त 2011 में रामलीला मैदान और पूरे देश में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन को देखते हुए संसद ने सदन की भावना के अनुरूप प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के साथ सिटिजन चार्टर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था। इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद मैंने 28 अगस्त को अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।
अन्ना ने पीएम को लिखा है कि मोदी सरकार तीन सालों से सत्ता में है,
लेकिन अभी तक लोकपाल बिल नहीं लाई। अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल ना लाने पर मोदी सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की धमकी दी है। पीएम मोदी को लिखे लेटर में अन्ना ने कहा है कि तीन सालों से मैं आपकी सरकार से लोकपाल लाने और किसानों के कल्याण के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए कह रहा हूं।
जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति की दिशा में कदम नहीं उठाने और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिये स्वामिनाथन समिति की रिपोर्ट पर अमल नहीं किये जाने का केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय किया है।
अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखते हुए अगस्त 2011 में रामलीला मैदान और पूरे देश में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन को देखते हुए संसद ने सदन की भावना के अनुरूप प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के साथ सिटिजन चार्टर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था। इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद मैंने 28 अगस्त को अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।
हजारे ने पत्र में कहा कि इस घटना के छह वर्ष गुजर जाने के बाद भी भ्रष्टाचार को रोकने वाले एक भी कानून पर अमल नहीं हो पाया है । इससे व्यथित होकर मैं आपको (प्रधानमंत्री) पत्र लिख रहा हूं। पिछले तीन वर्षो में लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति के संबंध में अगस्त 2014, जनवरी 2015, जनवरी 2016, जनवरी 2017 और मार्च 2017 को हमने लगातार पत्राचार किया लेकिन आपकी तरफ से कार्रवाई के तौर पर कोई जवाब नहीं आया।
उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनते समय संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की भूमिका निभा रहे आपकी पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस कानून को पूरा समर्थन दिया था। देश की जनता ने इसके बाद 2014 में बड़ी उम्मीद के साथ नई सरकार को चुना। आपने (प्रधानमंत्री मोदी) देश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण की प्राथमिकता का आश्वासन दिया था। लेकिन आज भी जनता का काम पैसे दिये बिना नहीं हो रहा है। जनता के जीवन से जुड़े प्रश्नों पर भ्रष्टाचार बिल्कुल कम नहीं हुए हैं । लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल होने से 50 से 60 प्रतिशत भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा है। तीन साल से नियुक्ति नहीं हो रही है।
अन्ना हजारे ने लिखा कि आश्चर्य की बात है कि जिन राज्यों में विपक्ष की सरकार है, वहां तो नहीं ही है, जहां आपकी पार्टी (भाजपा) की सरकार है, वहां भी लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल नहीं हुआ है। हजारे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और देश में प्रतिदिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। खेत पैदावारी में किसानों को लागत के आधार पर दाम मिले इस बारे में भी मैंने आपको पत्र लिखा। लेकिन इस बारे में कोई जवाब नहीं आया और स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई हुई।
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