ये कैसी आजादी -आजादी के 70 साल बाद भी हम मूलभूत सुविधाएं के लिए संघर्ष कर रहे है और नेता भाषणों से जनता का पेट भरते नज़र आ रहे हैं
आजादी के 70 साल .......वादे हैं वादों का क्या ...
दोस्तों देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन देश के सामने आज भी वो ही समस्याएं हैं
हमारे नेता जो देश के लिए बड़ी बड़ी बातें तो करते आये हैं लेकिन देश और जनता के लिए कुछ नही करते
आपने देखा होगा चुनाव आते हैं और सभी पार्टियां अपना घोषणा पत्र लाती हैं लेकिन जिस भी पार्टी की सरकार बनती है वो 5 सालो में अपने घोषणा पत्र में कहि हुयी बातो में से 20 % भी पूरा नही कर पाती और इस तरह ये पिछले 70 सालो से जनता को मुर्ख बनाते आ रहे हैं
जबकि जो बातें किसी भी सरकार अपने घोषणा पत्र मे देती हैं वो 5 सालो में पूरा हो जाना चाहिए अगर सरकार ऐसा नही कर पाती है तो ये जनता के साथ धोखा है
मेरी राय से साढ़े 4 वर्ष बाद सरकार को अपने घोषणा पत्र की रिपोर्ट इलेक्शन कमीशन और जनता के बीच रखनी चाहिए कि कोनसे वादे वो पूरा कर पाए हैं और कोनसे नही।
अगर सरकार अपने घोषणा पत्र का 60 % काम करने में असमर्थ रहती है तो उसे अगले चुनाव के लिए लड़ने का अधिकार नही होना चाहिए ताकि आगे से वो जनता को मुर्ख न बना सके
अब मैं आपको बताता हूँ की कैसे आज भी उन्ही मुद्दों पे चुनाव लड़ा जाता हैं जो मुद्दे 70 साल पुराने हैं
26 जनवरी और 15 अगस्त पर आपने हमारे नेताओ के लबे चौड़े भाषण तो सुने ही होंगे और आपने पाया होगा की हर बार भाषणों में वो ही मिलता है जैसे की
1. जय जवान जय किसान का नारा सिर्फ एक नारा बन के रह गया है जो 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर बड़े जोश और उत्साह से लगाया जाता है -जबकि आज भी देश में किसानों की हालात दयनीय है और रोजाना न जाने कितने किसान आत्महत्या क़र रहे हैं और लगातार हमारे सैनिक सीमा पर शहीद हो रहे है
2. गरीबी हटाओ का नारा 1971 में इंदिरा जी ने दिया था जो देश में आज भी एक गंभीर समस्या हैं आगे भी ये नारा आपको राष्ट्रीय पर्वों पर देखने को मिलता रहेगा ।
हमारे नेता बड़े शान से हर बार ये नारा चुनावो में और 15 अगस्त पर बोलते आये हैं और बोलते रहेंगे.आज गरीबी के नाम पर गरीबों को ही हटाया जा रहा है
3. बिजली ,पानी और सड़क आज भी कागजो पर हैं कोई भी सरकार पूरा नही करना चाहती कयूकि वो इन सब को मुद्दा बनाये रखना चाहती हैं आजादी के 70 साल बाद भी लोग मूलभूत सुविधाएं के लिए संघर्ष कर रहे है
आपने मोदी जी के भाषण में देखा होगा जिसमे उन्होंने नगला फतेला गांव में 70 साल बाद बिजली पहुँचने का ज़िक्र किया था वो भी झूठ निकला ! उसके बाद वंहा बिजली पहुंचाई गयी ।
हमारे नेता लालकिले से झूठ बोलने से नही चूकते !
4. देश के लिए शर्म की बात है की हमारी सरकार अभी तक भी देश की जनता को स्वास्थ्य एंवं शिक्षा जैसी बुनयादी जरूरते मुहैया नही करवा पायी हैं जो की हर चुनावो में बहुत बड़ा मुद्दा होता है ...हर बार 5 साल बीत जाते हैं और फिर से वो ही वादा अगले 5 सालो के लिए खुला रहता है ।
5. आतंकवाद से आजतक जूझते आ रहे हैं ....कोई कहता हैं की पाकिस्तान हमारे सब्र का इम्तिहान न लें । तो कोई कहता है 1 सिर के बदले 10 सिर लाएंगे ।
पिछले कई वर्षों से आतंकवाद सिर्फ भाषणों में गम्भीर मुद्दा बना हुआ है ...करना किसी को कुछ भी नही ..
6. बेरोजगारी के हालात से तो आप वाखिफ होंगे ही । एक 4th क्लास की जॉब्स के लिए 5 लाख आवेदन और वो भी MBA और इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा.....इससे आप बेरोजगारी का अंदाजा खुद लगा सकते हो
जंहा साक्षरता का ये हाल हो वो देश कैसे तरक्की कर सकता है
7. कानून व्यवस्था और न्याय पालिका में आज भी सुधार की जरुरत है ये भी सभी चुनावो में मुद्दा रहा है लेकिन कोई सरकार इसे दुरुस्त करने की दिलचस्पी नही दिखाती।
8. भ्रस्टाचार पर भी आपने बहुत भाषण सुने होंगे जो आज भी भाषणों का मुख्य हिस्सा है । भ्रस्टाचार पर तो कितनी सरकारें गिर भी गयी लेकिन भ्रस्टाचार आज भी अपनी चरम सीमा पर है ।
वैसे भी भ्रस्टाचार से लड़ने की किसी भी सरकार की नियत भी नहीं रही अन्यथा आज भारत भ्रस्टाचार मुक्त होता !
सरकारें आती है चली जाती हैं वो तो कमा जाते हैं और देश की जनता हर बार ठगी हुई महसूस करती है
इसलिए जो भी सरकार सत्ता में हो आप अगले मताधिकार का प्रयोग करने से पहले उसका पिछले घोषणा पत्र पढ़ें अगर वो उनको पूरा करने में नाकाम रही है तो आप उस पार्टी का बहिस्कार करें । पार्टियों के अंध भक्त न बने
दोस्तों देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन देश के सामने आज भी वो ही समस्याएं हैं
हमारे नेता जो देश के लिए बड़ी बड़ी बातें तो करते आये हैं लेकिन देश और जनता के लिए कुछ नही करते
आपने देखा होगा चुनाव आते हैं और सभी पार्टियां अपना घोषणा पत्र लाती हैं लेकिन जिस भी पार्टी की सरकार बनती है वो 5 सालो में अपने घोषणा पत्र में कहि हुयी बातो में से 20 % भी पूरा नही कर पाती और इस तरह ये पिछले 70 सालो से जनता को मुर्ख बनाते आ रहे हैं
जबकि जो बातें किसी भी सरकार अपने घोषणा पत्र मे देती हैं वो 5 सालो में पूरा हो जाना चाहिए अगर सरकार ऐसा नही कर पाती है तो ये जनता के साथ धोखा है
मेरी राय से साढ़े 4 वर्ष बाद सरकार को अपने घोषणा पत्र की रिपोर्ट इलेक्शन कमीशन और जनता के बीच रखनी चाहिए कि कोनसे वादे वो पूरा कर पाए हैं और कोनसे नही।
अगर सरकार अपने घोषणा पत्र का 60 % काम करने में असमर्थ रहती है तो उसे अगले चुनाव के लिए लड़ने का अधिकार नही होना चाहिए ताकि आगे से वो जनता को मुर्ख न बना सके
अब मैं आपको बताता हूँ की कैसे आज भी उन्ही मुद्दों पे चुनाव लड़ा जाता हैं जो मुद्दे 70 साल पुराने हैं
26 जनवरी और 15 अगस्त पर आपने हमारे नेताओ के लबे चौड़े भाषण तो सुने ही होंगे और आपने पाया होगा की हर बार भाषणों में वो ही मिलता है जैसे की
1. जय जवान जय किसान का नारा सिर्फ एक नारा बन के रह गया है जो 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर बड़े जोश और उत्साह से लगाया जाता है -जबकि आज भी देश में किसानों की हालात दयनीय है और रोजाना न जाने कितने किसान आत्महत्या क़र रहे हैं और लगातार हमारे सैनिक सीमा पर शहीद हो रहे है
2. गरीबी हटाओ का नारा 1971 में इंदिरा जी ने दिया था जो देश में आज भी एक गंभीर समस्या हैं आगे भी ये नारा आपको राष्ट्रीय पर्वों पर देखने को मिलता रहेगा ।
हमारे नेता बड़े शान से हर बार ये नारा चुनावो में और 15 अगस्त पर बोलते आये हैं और बोलते रहेंगे.आज गरीबी के नाम पर गरीबों को ही हटाया जा रहा है
3. बिजली ,पानी और सड़क आज भी कागजो पर हैं कोई भी सरकार पूरा नही करना चाहती कयूकि वो इन सब को मुद्दा बनाये रखना चाहती हैं आजादी के 70 साल बाद भी लोग मूलभूत सुविधाएं के लिए संघर्ष कर रहे है
आपने मोदी जी के भाषण में देखा होगा जिसमे उन्होंने नगला फतेला गांव में 70 साल बाद बिजली पहुँचने का ज़िक्र किया था वो भी झूठ निकला ! उसके बाद वंहा बिजली पहुंचाई गयी ।
हमारे नेता लालकिले से झूठ बोलने से नही चूकते !
4. देश के लिए शर्म की बात है की हमारी सरकार अभी तक भी देश की जनता को स्वास्थ्य एंवं शिक्षा जैसी बुनयादी जरूरते मुहैया नही करवा पायी हैं जो की हर चुनावो में बहुत बड़ा मुद्दा होता है ...हर बार 5 साल बीत जाते हैं और फिर से वो ही वादा अगले 5 सालो के लिए खुला रहता है ।
5. आतंकवाद से आजतक जूझते आ रहे हैं ....कोई कहता हैं की पाकिस्तान हमारे सब्र का इम्तिहान न लें । तो कोई कहता है 1 सिर के बदले 10 सिर लाएंगे ।
पिछले कई वर्षों से आतंकवाद सिर्फ भाषणों में गम्भीर मुद्दा बना हुआ है ...करना किसी को कुछ भी नही ..
6. बेरोजगारी के हालात से तो आप वाखिफ होंगे ही । एक 4th क्लास की जॉब्स के लिए 5 लाख आवेदन और वो भी MBA और इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा.....इससे आप बेरोजगारी का अंदाजा खुद लगा सकते हो
जंहा साक्षरता का ये हाल हो वो देश कैसे तरक्की कर सकता है
7. कानून व्यवस्था और न्याय पालिका में आज भी सुधार की जरुरत है ये भी सभी चुनावो में मुद्दा रहा है लेकिन कोई सरकार इसे दुरुस्त करने की दिलचस्पी नही दिखाती।
8. भ्रस्टाचार पर भी आपने बहुत भाषण सुने होंगे जो आज भी भाषणों का मुख्य हिस्सा है । भ्रस्टाचार पर तो कितनी सरकारें गिर भी गयी लेकिन भ्रस्टाचार आज भी अपनी चरम सीमा पर है ।
वैसे भी भ्रस्टाचार से लड़ने की किसी भी सरकार की नियत भी नहीं रही अन्यथा आज भारत भ्रस्टाचार मुक्त होता !
सरकारें आती है चली जाती हैं वो तो कमा जाते हैं और देश की जनता हर बार ठगी हुई महसूस करती है
इसलिए जो भी सरकार सत्ता में हो आप अगले मताधिकार का प्रयोग करने से पहले उसका पिछले घोषणा पत्र पढ़ें अगर वो उनको पूरा करने में नाकाम रही है तो आप उस पार्टी का बहिस्कार करें । पार्टियों के अंध भक्त न बने
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