काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए मोदी जी ने जितने मंदिर तोड़े उतने औरंगजेब ने भी नहीं तोड़े-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की नींव रखी. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ऐसा कहा जिसकी आलोचना हर तरफ हो रही है उन्होंने कहा कि वर्षों से बाबा विश्वनाथ बंधे हुए थे, सांस भी नहीं ले पा रहे थे, लेकिन आज इस काम से उन्हें मुक्ति मिलेगी. उन्होंने कहा कि जब मैं राजनीति में नहीं था, तब भी सोचता था कि यहां कुछ करना चाहिए. लेकिन यह मेरे नसीब में ही लिखा था कि मेरे हाथ से ये काम हुआ. लेकिन करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र काशी विश्वनाथ को मुक्त करने के पीएम के इस बयान पर काशी के विद्वत जनों में भारी रोष है.

काशी में काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के लिए ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर तक दो सौ से अधिक भवनों और मंदिरों को तोड़ा गया. इनमें लगभग 50 की संख्या में प्राचीन मंदिर व मठ शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने 40 से अधिक प्राचीन मंदिर जिस पर लोगों का अतिक्रमण था उसे भी मुक्त कराया है.

संकटमोचन मंदिर के महंत विशंभरनाथ मिश्र ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि भगवान शंकर सबको मुक्त करने वाले हैं ऐसे में कोई उन्हें मुक्त करने की बात करे ये अनुचित है. इससे मैं बेहद आहत हूं. बनारस की जीती जागती संस्कृति को ढहा कर उस पर विकास की इमारत खड़ी की जा रही है. यह लाखों लोगों की आस्था से खिलवाड़ है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की जद में आने वाले इन प्राचीन मंदिरों, देव विग्रहों की रक्षा के लिए आंदोलन करने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, 'काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए जितने मंदिर तोड़े गए उतने औरंगजेब ने भी नहीं तोड़े. अगर प्रधानमंत्री का अर्थ है कि मैनें इन्हें मुक्त कराया तो सही ही है क्योंकि उन्होंने इन देव विग्रहों को उनके प्राण से मुक्त करा दिया. प्रधानमंत्री बताएं कि काशी विश्वनाथ मंदिर को किसके कब्जे से मुक्त कराया? काशी में जो हुआ है वो अकल्प्य है. जिन देवी देवताओं के दर्शन के लिए लोग पूरे भारत से आते हैं वे उन्हें ना पाकर कैसा महसूस करेंगे.

वंही इसी क्रम में काशी विद्वत परिषद के संगठन महामंत्री दीपक मालवीय ने मोदी जी की आलोचना करते हुए कहा कि बाबा विश्वनाथ का देश के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में विशेष महत्व है. वो पूरे विश्व के नाथ हैं. पूरे देश के लोग मुक्ति की प्राप्ति के लिए काशी आते हैं. तो इन्हें कौन मुक्त करेगा जो खुद लोगों को मुक्ति देते हैं, काशी मोक्ष का कारक है. बाबा विश्वनाथ के इर्द गिर्द सुंदरीकरण किया जा सकता है, सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं लेकिन बाबा को मुक्त करने की बात कहना अनुचित है.उन्होंने आगे कहा कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए जिन मंदिरों और देव विग्रहों को तोड़ा गया उसे जमींदोज कर उसके ऊपर निर्माण करना अनुचित प्रक्रिया है. क्योंकि इन सभी देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. अगर सरकार सुंदरीकरण कर रही है तो इन्हें पुन: प्राण प्रतिष्ठित कराते हुए दर्शन पूजन की उचित व्यवस्था करे.

यंहा पर प्राचीन मंदिरों को तोड़े जाने से वँहा के लोग खासा नाराज़ है उनका कहना है कि मोदी जी काशी की संस्कृति नष्ट कर नया बनारस बना रहे हैं. जो हिन्दुओं की आस्था का सवाल है ! 

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