कोर्ट ने लगाई चुनाव आयोग को फटकार -कहा 20 विधायकों का केस हल्के में कैसे ले सकते हो
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों पर लाभ का पद रखने के मामले में तलवार लटक रही है. चुनाव आयोग ने इस संबंध में राष्ट्रपति को एक नोटिफिकेशन भेजा है जिसमे विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश की है जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की साजिश करार देते हुए चुनाव आयुक्त पर भी सवाल खड़े किए हैं. वहीं कोर्ट ने भी चुनाव आयोग पर गंभीर टिप्पणी की है.
सुनवाई के दौरान अयोग्य ठहराए गए विधायकों में से एक शरद कुमार की तरफ से अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने अदालत से कहा कि अयोग्य ठहराने का फैसला करने से पहले चुनाव आयोग ने उनका पक्ष नहीं सुना. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक चुनाव आयोग ने पिछले साल अगस्त में दायर उनकी याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं किया है.
कोर्ट ने कहा, 'इसमें 20 लोग शामिल हैं. आप कैसे इसे इतने हल्के में ले सकते हैं.'
बता दें कि इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं.
आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था.
अब ये मामला राष्ट्रपति के पास है. अगर राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय पर मुहर लगा देते हैं तो आम आदमी पार्टी और उसके विधायकों के मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं और दिल्ली में उपचुनाव की नौबत आ सकती है.
सुनवाई के दौरान अयोग्य ठहराए गए विधायकों में से एक शरद कुमार की तरफ से अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने अदालत से कहा कि अयोग्य ठहराने का फैसला करने से पहले चुनाव आयोग ने उनका पक्ष नहीं सुना. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक चुनाव आयोग ने पिछले साल अगस्त में दायर उनकी याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं किया है.
कोर्ट ने कहा, 'इसमें 20 लोग शामिल हैं. आप कैसे इसे इतने हल्के में ले सकते हैं.'
बता दें कि इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं.
आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था.
अब ये मामला राष्ट्रपति के पास है. अगर राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय पर मुहर लगा देते हैं तो आम आदमी पार्टी और उसके विधायकों के मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं और दिल्ली में उपचुनाव की नौबत आ सकती है.
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