सरकार की श्रम कानून समाप्त करने की साजिश-18000 से अधिक सैलरी वाले भी कहे जाएंगे मजदूर

श्रम मंत्रालय अगले महीने शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में मजदूरी संहिता विधेयक को ला सकती है। इस संहिता से सभी प्रकार के उद्योगों में श्रमिकों को सब जगह लागू एक न्यूनतम मजदूरी दिलाने का प्रस्ताव है। 

इसके अंतर्गत 18000 से अधिक सैलरी वाले भी कहे जाएंगे मजदूर



मोदी सरकार का पहला एजेंडा है देश मे श्रम कानून अवरोध समाप्त कर एम्प्लॉयर वर्ग को श्रमिकों को निकालने की खुली छूट, ठेका प्रथा को बढ़ावा, श्रमिकों की स्थिति बंधवा मजदूर सी कर देना! 
पूंजीपति और विदेशी निवेशकों के लिए लाल कार्पेट बिछाते उन्हें पूरा आश्वासन की श्रम की लूट के लिए कोई बाधा नही छोड़ेंगे!

Wage वेज_कोड_बिल 2017 के नाम से श्रमिकों के हित मे प्रचारित करते सभी श्रम कानूनों को पंगु बनाने/समाप्त करने के बिल को केबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

बिल के लिए कहा जा रहा की राज्य की जगह केंद्र अब पूरे भारत मे समान वेतन निर्धारित करेगा। जबकि ये विद्यमान कानूनों को समाप्त करने की साजिश है।

वेज कोड बिल में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, वेतन भुगतान कानून 1936, बोनस भुगतान अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 को एक साथ जोदते हुए उनको अप्रभावी किया जा रहा है।


यहाँ तक की काम के 8 घण्टे का अधिकार जो 19वीं सदी मे हांसिल हुआ अब काम के घण्टे भी केंद्र सरकार तय करेगी, भत्तों मे बढ़ोतरी 5 साल मे एक बार तय होगी जबकि वर्तमान मे हर 6 महीने मे न्यूनतम वेतन निर्धारण होता है।


वेज बिल मे समय पर भुगतान ना करने पर सजा के प्रावधान की आड़ मे, रजिस्टर तक मेंटेन नही करने/जांच की छूट है एम्प्लॉयर्स को तो तय कैसे और कौन करेगा की श्रमिक ने काम किया या नही किया।
एम्प्लॉयर छुट्टी, लापरवाही, पहुंचाए नुकसान की एवज मे ही वेतन काट सकेगा!!
यानी काम के दौरान नुकसान की भरपाई भी अब श्रमिक करेगा!!


आजादी से पहले से लेकर आजतक मजदूरों के संघर्ष से प्राप्त, यूनियन बनाने के अधिकार, बोनस, ग्रेचुएटी सामाजिक सुरक्षा, ID Act 1947 सबको समाप्त करने की चतुर साजिश


44 श्रम कानूनों को 4 लेबर कोड में समेटा जा रहा है, जिससे श्रमिक कानून जैसा रोड़ा बचे ही नही, जबकि ये सब प्रचारित ऐसे किया जा रहा है केंद्रीय स्तर पर समान वेतन की गारन्टी मजदूर हित मे। 


इस पूंजीपतियों की पिट्ठू सरकार के समय मजदूर का जागरूक होना और झंडे पार्टी से परे देशव्यापी संगठित होना बहुत जरूरी हो गया है..

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