अमरनाथ में कांवड़ियों की हत्या पर क्रोध से भरी कविता, जरूर पढ़ें और शेयर करें।
*(क्रोधित हूँ अमरनाथ में कांवड़ियों की हत्या पर,क्रोध आया तो कविता आयी,पढ़ें)*
*फिर से वही रवैया अपना,फिर वो ही लाचारी है*
*अमरनाथ के आंगन में जेहादी गोलीबारी है*
,
*हिन्दू सात मारकर लश्कर,जश्न मनाता कायम है,*
*और सूरमा मोदी का दिल अब तक बहुत मुलायम है,*
*अमरीका इजराइल में बस जुमलों के बम फोड़े हैं,*
*और यहाँ मोदी,मुफ़्ती का दामन सर पर ओढ़े हैं,*
*दीमक शायद लग बैठी,दिल्ली की सख्त जवानी को,*
*शर्म आज आती होगी इन पर बाबा बर्फानी को,*
*जिस काशी के भोले बाबा की मोदी पर कृपा हुयी,*
*विजय दिलायी,कुर्सी सौंपी,हर मुश्किल भी दफा हुयी,*
*बहुमत का वरदान मिला,जनता के मिले सहारे थे,*
*विश्वनाथ से सोमनाथ तक बम भोले के नारे थे,*
*लेकिन दुःख इस बात का है,यह हमला आंसू छोड़ गया*,
*अमरनाथ तक आते आते यह नारा दम तोड़ गया,*
*कांवड़ियों को मार,हमें अंजाम सुना कर चले गए,*
*हम काफ़िर हैं मरने को,पैगाम सुना कर चले गए,*
*आतंकी कुनबे मज़हब की जात* *दिखाकर चले गए,*
*सच तो ये है भारत की औकात दिखा कर चले गए*,
*वो तो चले गए,हम अपनी ज़िंदा लाश घसीटेंगे*,
*इक जुनैद के मरने पर हम केवल छाती पीटेंगे,*
*दिल्ली से निंदा की तोपें,रोज चलायी जाएँगी,*
*और मीटिंगे मंत्रालय की रोज़ बुलाई जाएंगी,*
*ऐसी मौतों पर खुद को बेशर्म बनाये रखेंगे,*
*मज़हब वाली दहशत पर,रुख नर्म बनायें रखेंगे,*
*देख नही पाये मंसूबे,हम उठती आवाज़ों में*,
*आतंकी कितने शामिल हैं आखिर पत्थरबाजों में,*
*कांग्रेस का नेता बुराहनों का पानी भरता है,*
*पैलेट गन चल जाए तो न्यायालय मातम करता है,*
*भारत मरता सदा रहेगा,गद्दारी अरमानों से*,
*कैसे जंग लड़ी जायेगी आतंकी फरमानों से*,
*कैसे क़र्ज़ उतारोगे,सेना के खून पसीने का,*
*जनता क्या अचार रक्खेगी,छप्पन इंची सीने का*,
*खुल कर मोदी वार करो अब,ना कोई परवाह करो*,
*अमरनाथ में यज्ञ करो,हर आतंकी को स्वाह करो*,
*काश्मीर के घर घर में घुसती सेना की टोली हो,*
*जिसके हाथ दिखे पत्थर,उसके सीने में गोली हो*,
*पहले ढूंड ढूंड मारो,घर छिपे हुए गद्दारों को,*
*केरल से बंगाल तलक,जेहादी राजदुलारों को*,
*भक्त मरे,सेना मरती,अब कितनी और परीक्षा है,*
*और बताओ किसके मरने की अब तुम्हे प्रतीक्षा है,*
*अमरनाथ की चीख सुनो,वर्ना आगे पछताओगे,*
*सोमनाथ के अंश नही,कायर का वंश कहाओगे,*
*कवि गौरव की कविता तुमको ना कोई आलाप लगे,*
*इससे पहले शिवभक्तों का तुम पर कोई श्राप लगे,*
*अब त्रिशूल घुस जाने दो,दहशतगर्दों की छाती में*,
*बम बम भोले होने दो,अब की लाहौर कराची में*
-- *(मोदी के कान तक इस आक्रोश को पहुँचाने के लिए बिना कांट छांट खूब शेयर करें,आगे बढ़ाएं)*
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