मोदी जी के कल के आँशु नेताओ और उद्योगपतियों के लिए बड़ी राहत बन कर आये।अब वो अपना काला पैसा 24 नवम्बर तक बिना बैंकों की लाइन में लगकर बड़ी आसानी से पैट्रॉल पंपों के जरिये सफ़ेद कर सकते हैं जबकि आम लोगों को पहले की भांति 4000 की जगह 4500 रूपए के लिए अपनी पूरी दिहाड़ी बैंको की लाइन में लगकर गवानी पड़ेगी।

#ना खाऊंगा ना खाने दूंगा।
मैं पूछना चाहता हूँ की जब मोदी जी ने 5000,1000 के नोट 8 तारीख को रात 12 बजे से तत्काल प्रभाव से उन्हें रद्दी घोषित कर दिया।और जनता उस फैंसले को स्वीकारती भी है जो प्रधानमंत्री जी अपने भाषण में भी कहते नज़र आते हैं कि जनता  इतनी मुसीबतों का बावजूद भी खुश है तो मोदी जी अपने ही फैंसले से क्यों पीछे हट् ते नज़र आ रहे है।
अभी खबर आयी है कि पुराने 500,1000 के नोट पैट्रॉल पंपो पर 24 नवम्बर तक चलेंगे।मैं पूछना चगता हु की पैट्रॉल पम्प आम आदमी या किसी छोटे आदमी के तो होते नही हैं वो तो मंत्री ,नेताओ और उधोयपतिओं के होते हैं तो घर बैठे उनके काले धन को सफ़ेद बनना कोण पालिसी है।क्या सरकार सिर्फ गरीब और मजदूर को मारना चाहती है जो ठीक से 2 वक़्त की रोटी नही कमा पाता उन्हें बैंको की लाइन में लगागकर ,उनका शोषण करना कंहा तक उचित है।
मेरा एक सवाल और है क्या जब से कालाबाज़ारी और नही बढ़ गयी है जब से मोदी जी ने 500,1000 के नोटों को बंद करने का फैंसला लिया है।
1. सोने में कालाबाजारी @60000
2. डॉलर में कालाबाज़ारी@140
3. बैंको के कर्मचारी छोटे कॅश को कमिसन पे दे रहे हैं।
4. पैट्रॉल पम्प वाले अपने बड़े नोट को छोटे में कन्वर्ट क्र रहे है।
5. चाँदी में कालाबाज़ारी
6. अडवांस्ड सैलरी देके वर्कर्स को कुछ कंपनी क्र रही कालाबाज़ारी
कालाबाज़ारी ज़ोरो पर है और कुछ भक्त इसे क्रन्तिकारी स्टेप बोल के देश जा मज़ाक बना रहे हैं
अगर ये कालाबाज़ारी नही हो रही हो तो आप मुझे कमेंट में लिख सकते हो और 24 नवम्बर तक पैट्रॉल पम्प पर पुराने नोट चलाने से ब्लैक मनी को वाइट में बदलवाकर क्या सरकार अपने नेता मंत्री और उधोगपतियों को बचाने का काम नही कर रही है

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