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अघोषित आपातकाल- लोकतंत्र खतरे में है !

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आज देश अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है! हम जिस तरह देख रहे हैं कि आज उन सभी आवाजो को दबाया जा रहा है जो सरकार या सरकार की नीतियों के खिलाफ हों। आज देश के ऐसे हालात हैं जिसमे छात्र (JNU कांड और गिरती शिक्षा व्यवस्था) ,दलित(गुजरात और विभिन्न शहरों में घटित दलित कांड) ,सैनिक(अपने हक़ और घटते रक्षा बजट), किसान (बदहाली और गरीबी ), युवा (बेरोजगारी), व्यापारी (GST और नोटबंदी), आम आदमी (बढ़ती महँगाई और बढ़ते भ्र्स्टाचार) सभी लोग सरकार की दमनकारी नीतियों से त्रस्त है और सभी की आवाज को लगातार दबाये जाने की कोशिश की जा रही है ! मोदी और शाह की जोड़ी ने देश में तानाशाही का तांडव मचाया हुआ है , सरकारी संस्थाओं की स्वायत्ताओं को पैरों तले दबाया और कुचला जा रहा है ,हर वो जुबान को काटने की कोशिश की जा रही है जो सरकार के विरुद्ध हो। आज एक व्यक्ति देश से ऊपर है वो देश में डर ,नफरत और हिँसा का माहौल पैदा करना चाहते है! वो अपनी चुनावी रैलियों में शिक्षा और स्वास्थ की बात नहीं करता , ना किसान और रोजगार की बात करता, वो बात करता है हिन्दू-मुसलमान की ,वो बात करता है पाकिस्तान की ,वो बात करता है डर और नफरत क
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10 बातें जो बताती है कि MV एक्ट के तहत सरकार का मकसद जान बचाना नहीं सिर्फ पैसे कमाना है!

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जानिए कैसे ये 10 पॉइंट बताते है कि सरकार का असल मकसद जान बचाना नहीं बल्कि पैसे कमाना है ! 1.अगर सच में लोगों की जान बचाना सरकार की प्राथमिकता होती तो चालान से कमाए पैसों से सबसे पहले रोड एक्सीडेंट में घायल लोगों के लिए किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में उसका फ्री इलाज निर्धारित करती ताकि सही मायनों में उसकी जान बचाई जा सके क्योंकि एक्सीडेंट कभी कागजात देख कर नही होते, किसी के पास सारे कागजात होने पर एक्सीडेंट न हो इसकी कोई गारंटी नही होती। 2.हेलमेट के चालान की वजह वो हेलमेट देती। 3. रोड एक्सीडेंट में घायल लोगों को समय पर मेडिकल सुविधा मिले इसके लिए जरूरी कदम उठाती जैसे दिल्ली में घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाने वाले को 2000 रुपये की राशि दी जाती है या कुछ अलग से एम्बुलेंस की व्यवस्था करती जो एक्सीडेंट में घायल लोंगो को तय समय के अंदर मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराती। 4.रोड में बने तलाबनुमे गड्डों को जल्द से जल्द भरने का आदेश पारित करती। 5.रोड पर रात के समय उजाले की व्यवस्था करने का आदेश पारित करती  6 कम से कम खुले गटर और मैनहोल के लिए 2 शब्द बोले जाते। 7 अंडरपास और रोड क्

आखिर क्यों मैट्रो मैन श्रीधरन केजरीवाल की फ्री मैट्रो योजना का विरोध करने पर तुले है ?

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मेट्रोमैन श्रीधरन के खोखले तर्क खोखला तर्क नंबर 1 - महिलाओं की मुफ्त यात्रा से दिल्ली मेट्रो को आर्थिक रूप से नुकसान होगा! जब महिलाओं की मुफ्त यात्रा का पूरा खर्चा दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा वहन किया जायेगा तो दिल्ली मेट्रो को इससे आर्थिक रूप से नुकसान कैसे होगा ? ये हमारी सोच से परे है आखिर किस आधार पर श्रीधरन ये बातें कर रहे है ? ये ताज्जुब की बात है कि श्रीधरन इतने बड़े टेक्नोक्रेट होने के बावजूद थोड़ा सा गणित नहीं कर पा रहे! या फिर वो जानबूझ कर जनता को बरगलाने की कोशिस कर रहे है? ताकि भाजपा को दिल्ली चुनावों में नुकसान न झेलना पड़े ! जब महिला सवारियों के खर्चे की भरपाई दिल्ली सरकार कर रही है तो फिर मेट्रो को असल में लाभ होना चाहिए इससे नुकसान कैसे होगा यह कॉमन सेंस की बात है ! वास्तव में यह खेल भाजपा को चुनावों में होने वाले नुकसान की फिक्र जाहिर करता है न कि दिल्ली मेट्रो में होने वाले आर्थिक नुकसान की !!  खोखला तर्क नंबर 2 :   किसी अन्य देश में महिलाओं के लिए फ्री परिवहन की सुविधा नहीं है इसलिए दिल्ली मेट्रो में भी नहीं हो सकता यह सवाल आपको कितना तर्कसंगत लगता

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बच्चे मरे तो मरे हमें क्या!? वो गाय थोड़ी है जो हमारी भावनाएं आहत होंगी !!!

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बिहार में चमकी बुखार ने तांडव मचा रखा है मरने वाले बच्चों की संख्या 135+ हो गई है.लकिन सरकार खामोश है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में व्यस्त हैं, तो डिप्टी सीएम सुशील मोदी पटना में. जबकि चिराग पासवान गोवा में पार्टी कर रहे हैं। और सबसे बड़ी बात छोटी छोटी बातों पर ट्वीट करने वाले हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी का बच्चो की मौत को लेकर अभी तक कोई ट्वीट तक भी नहीं आया है वो अपनी नई सरकार में व्यस्त है ,दोबारा सरकार बनाने की ख़ुशी में बच्चो की मौत एक रोड़ा है तो उस तरफ कोई सोचना ही नहीं चाहता,प्रधानमंत्री बिलकुल बेफिक्र नज़र आ रहे है और आज रात भव्य डिनर का आयोजन किया गया है जिसमे सांसदों को डिनर कराएंगे ,ऐसा लग ही नहीं रहा कि देश में बच्चे मर रहे है किसी को कोई फ़िक्र नहीं ,क्युकी अभी चुनावों में देरी है तब तक जवान मरे या किसान ,बच्चे मरे या नौजवान इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता ! सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 117 बच्चों की मौत हो गई. 12 मौतें मोतिहारी और 6 मौतें बेगूसराय में हुई हैं.  हर कोई सवाल पूछ रहा है कि बच्चों की सांसें छिनने का सिलसिला कब खत्म होगा? फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है. बच्

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